यमन के मुक़ल्ला (Mukalla) बंदरगाह पर सऊदी अरब के ताज़ा हवाई हमलों ने न केवल यमन में खलबली मचा दी है, बल्कि खाड़ी के दो सबसे ताकतवर देशों—सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE)—के बीच खुली दुश्मनी के संकेत भी दे दिए हैं।
हालात इतने बिगड़ गए हैं कि यमन में आपातकाल (Emergency) घोषित कर दिया गया है।
💥 हुआ क्या है? (बड़ा हमला)
सऊदी अरब ने यमन के हद्रमौत प्रांत में स्थित मुक़ल्ला बंदरगाह पर हवाई हमले किए।
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निशाना क्या था? सऊदी सेना का दावा है कि उन्होंने उन जहाजों को निशाना बनाया जो अपना ट्रैकिंग सिस्टम बंद करके वहां पहुंचे थे।
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आरोप: इन जहाजों में यूएई (UAE) से आए हथियार और बख्तरबंद गाड़ियां थीं, जो यूएई समर्थित अलगाववादी गुट ‘साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल’ (STC) के लिए भेजी गई थीं।
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नुकसान: सऊदी पक्ष के अनुसार, यह हमला बहुत सटीक था ताकि आम नागरिकों को नुकसान न हो। अभी तक किसी बड़े नागरिक हताहत की खबर नहीं है।

⚠️ यमन में आपातकाल और कड़े फैसले
इस हमले के तुरंत बाद यमन के एंटी-हूती (Anti-Houthi) प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं:
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इमरजेंसी लागू: अपने नियंत्रण वाले इलाकों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है।
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बॉर्डर सील: अगले 72 घंटों के लिए सभी बॉर्डर, एयरपोर्ट और समुद्री बंदरगाहों को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है।
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यूएई को अल्टीमेटम: रिपोर्टों के मुताबिक, यमन की सऊदी समर्थित सरकार के प्रमुख रशाद अल-अलीमी ने देश में मौजूद यूएई के सैनिकों को 24 घंटे के भीतर यमन छोड़ने का आदेश दिया है।
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समझौते रद्द: यूएई के साथ सभी सुरक्षा सहयोग तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं।
🇸🇦 बनाम 🇦🇪: सऊदी-यूएई विवाद की जड़
यह हमला यमन युद्ध के अंदर एक नए ‘गृहयुद्ध’ जैसा है।
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मैदान-ए-जंग: पिछले कुछ दिनों से यूएई समर्थित लड़ाकों (STC) ने यमन के पूर्वी इलाकों (हद्रमौत और महरा) में सऊदी समर्थित सेना को खदेड़ कर कब्ज़ा जमा लिया था।
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सऊदी की चेतावनी: रियाद ने अबू धाबी (UAE) को साफ चेतावनी दी है कि उनका यह कदम “बेहद खतरनाक” है। सऊदी अरब को लगता है कि यूएई यमन को विभाजित करने की कोशिश कर रहा है।
🌍 इसका क्या असर होगा?
यह घटना मध्य पूर्व (Middle East) की सुरक्षा के लिए बुरी खबर है।
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एक तरफ ईरान समर्थित हूती विद्रोही हैं, जिनसे निपटना पहले ही मुश्किल था।
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अब गठबंधन के भीतर ही सऊदी और यूएई के बीच तलवारें खिंच गई हैं।
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मुक़ल्ला एक प्रमुख आर्थिक केंद्र है, वहां तनाव बढ़ने से यमन की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
निष्कर्ष: यमन अब एक बहुत ही नाजुक दौर में है, जहाँ उसके अपने ही रक्षक (सऊदी और यूएई) अब एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं।




