हाल ही में पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रक्षा समझौते डील पर साइन पर हुआ है। इस डील को लेकर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा है कि यदि ज़रूरत पड़ी तो पाकिस्तान का न्यूक्लियर कार्यक्रम Saudi Arabia के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। यह नए रक्षा समझौते के तहत पहली बार स्पष्ट रूप से मान्यता दी गई है कि इस्लामाबाद ने सऊदी अरब को अपने परमाणु सुरक्षा छत्र के तहत रखा है।
18 सितंबर 2025 को देर रात Geo TV के इंटरव्यू में आसिफ ने बताया कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता लंबे समय से स्थापित है और सेना युद्ध के लिए प्रशिक्षित है। उन्होंने कहा, “हमारे पास जो भी क्षमता है, उसे इस समझौते के अनुसार (Saudi Arabia) को उपलब्ध कराया जाएगा।”
गौरतलब है कि यह बयान इस हफ़्ते पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा समझौते की महत्ता को रेखांकित करता है, जिसके तहत एक देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। विश्लेषकों के अनुसार यह इज़राइल के लिए एक संदेश है, जिसे मध्य पूर्व का अकेला न्यूक्लियर-शस्त्रयुक्त देश माना जाता है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान का न्यूक्लियर कार्यक्रम लंबे समय से जुड़ा रहा है। रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल फिरोज़ हसन खान के अनुसार, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को पर्याप्त वित्तीय मदद दी थी, जिससे देश का न्यूक्लियर प्रोग्राम जारी रह सका, खासकर उस समय जब अमेरिका के प्रतिबंध थे।
पाकिस्तान ने अपना परमाणु हथियार कार्यक्रम भारत के परमाणु बमों के मुकाबले विकसित किया। वर्तमान में, अमेरिका की Bulletin of Atomic Scientists के अनुसार, भारत के पास लगभग 172 और पाकिस्तान के पास 170 परमाणु वारहेड्स हैं।
यह कदम इस क्षेत्र में तनाव और सुरक्षा चिंताओं के बीच आया है, खासकर इज़राइल-हमास युद्ध के समय, जिसने गाज़ा पट्टी को बुरी तरह प्रभावित किया और खाड़ी अरब देशों में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाया।




