सऊदी अरब और क़तर ने रियाद और दोहा को जोड़ने वाली हाई‑स्पीड इलेक्ट्रिक ट्रेन बनाने के लिए ऐतिहासिक समझौता किया है, जिससे दोनों राजधानियों के बीच यात्रा समय घटकर सिर्फ़ दो घंटे रह जाएगा और परियोजना को छह साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह रेल परियोजना दोनों देशों के बीच संबंधों की नई गर्माहट, खाड़ी क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्रांति और GCC रेलवे विज़न को तेज़ करने वाला मील का पत्थर मानी जा रही है।
समझौते की मुख्य बातें
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सऊदी अरब और क़तर ने लगभग 785 किमी लंबा हाई‑स्पीड इलेक्ट्रिक पैसेंजर रेल कॉरिडोर विकसित करने पर सहमति दी, जो सीधे रियाद और दोहा को जोड़ेगा।
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ट्रेन की अधिकतम गति 300 किमी प्रति घंटा से ज्यादा होगी, जिससे रियाद–दोहा यात्रा सड़क मार्ग के कई घंटों की तुलना में करीब दो घंटे में पूरी हो सकेगी, जबकि मौजूदा सीधी उड़ान लगभग 90 मिनट लेती है।
रूट, स्टेशन और समयसीमा
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लाइन रियाद के किंग सलमान इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दोहा के हमद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ेगी, रास्ते में सऊदी शहर अल‑अहसा/अल‑हफ़ूफ और दम्माम जैसे अहम स्टेशनों से गुज़रेगी, जिससे पूर्वी सऊदी का औद्योगिक इलाका भी सीधे कनेक्ट होगा।
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आधिकारिक बयान के अनुसार प्रोजेक्ट को छह साल में पूरा करने की योजना है, यानी अगर काम समय पर शुरू होता है तो अगले दशक की शुरुआत तक ट्रेन संचालन में आ सकती है।

आर्थिक, रोज़गार और रणनीतिक असर
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हाई‑स्पीड रेल प्रति वर्ष कम से कम 1 करोड़ (10 मिलियन) यात्रियों को सेवा देने के लक्ष्य के साथ डिज़ाइन की जा रही है, जिससे टूरिज्म, बिज़नेस ट्रैवल और आपसी व्यापारिक यात्राओं में तेज़ी आने की उम्मीद है।
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परियोजना से दोनों देशों में 30,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियाँ पैदा होने का अनुमान है, साथ ही लॉजिस्टिक्स, रियल‑एस्टेट, होटल और सर्विस सेक्टर में नए निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
GCC रेलवे व विज़न 2030 संदर्भ
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यह समझौता लंबे समय से नियोजित GCC रेलवे नेटवर्क का अहम हिस्सा है, जिसका मक़सद कुवैत से ओमान तक सभी छह खाड़ी देशों को लगभग 2,100 किमी लंबी रेल लाइन से जोड़ना है।
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क़तरी कैबिनेट द्वारा सऊदी रेल लिंक स्वीकृत करने और GCC रेलवे अथॉरिटी के तहत समन्वय तेज़ करने के बाद रियाद–दोहा हाई‑स्पीड लाइन को “रीजनल कनेक्टिविटी की रीढ़” के रूप में पेश किया जा रहा है, जो विज़न 2030 के आर्थिक विविधीकरण लक्ष्यों से सीधे जुड़ी है।
राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व
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2017 में खाड़ी संकट के दौरान सऊदी अरब, UAE, बहरीन और मिस्र द्वारा क़तर से संबंध तोड़ने के बाद अब यह साझा रेल प्रोजेक्ट दोनों देशों के बीच मेल‑मिलाप और भरोसे की बहाली की प्रतीक पहल मानी जा रही है।
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समझौते पर हस्ताक्षर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और क़तर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल‑थानी की मौजूदगी में हुए, जिसे विश्लेषक खाड़ी राजनीति में “नई रणनीतिक साझेदारी” की दिशा में बड़ा क़दम बता रहे हैं।
रियाद और दोहा के एयरपोर्टों को सीधे जोड़ेगी इलेक्ट्रिक बुलेट ट्रेन, सालाना 1 करोड़ यात्रियों की क्षमता; 30 हज़ार से ज़्यादा रोज़गार, GCC रेलवे विज़न को मिलेगा नया इंजन





