संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में पांच दशक से ज़्यादा वक्त बिताने वाले केरल के एक भारतीय प्रवासी थैय्यिल अब्दुल गफूर अब अपने वतन लौट आए हैं। दुबई में रहकर उन्होंने हज़ारों लोगों की रोज़गार पाने में मदद की और अपने कस्बे के दर्जनों युवाओं को नौकरियां दिलवाईं।
64 वर्षीय गफूर को मलयाली समुदाय में लोग प्यार से ‘रियल-लाइफ़ गफूर’ कहते हैं। ये नाम 1980 के दशक की मलयालम कल्ट कॉमेडी नाडोडिक्कट्टू के काल्पनिक ठग ‘गफूर’ से प्रेरित है लेकिन असल ज़िंदगी में गफूर ने सैकड़ों का जीवन संवार दिया।
हमारे अपने गफूरका आ गए
दुबई को अलविदा कहने से पहले दोस्तों और सहयोगियों ने कई विदाई पार्टियाँ रखीं। जैसे ही गफूर कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुँचे, उनके स्वागत के लिए एक बस भरकर लोग आए। केएसआरटीसी की सरकारी बस किराए पर लेकर लोग नारे लगाते हुए उन्हें गाँव मरुथिंचिरा (मलप्पुरम ज़िला) लेकर गए। गाँव में उनके प्रवेश का ऐलान एक गाड़ी पर लगे लाउडस्पीकर से किया गया “हमारे अपने गफूरका आ गए हैं”। ड्रम वादन, सार्वजनिक समारोह और उनके जीवन पर एक श्रद्धांजलि वीडियो भी प्रस्तुत किया गया।
दुबई ने बदल दी जिदंगी
गफूर ने कहा “अगर किसी की ज़िंदगी मेरी वजह से बदली है तो उसका श्रेय दुबई को जाता है। मैं तो बस एक ज़रिया था। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि दुबई मुझे इतना आगे बढ़ाएगा।” उन्होंने बताया कि UAE ने न सिर्फ उनकी, बल्कि लाखों भारतीयों की जिदंगी बदली हैं। उनके परिवार की तो चौथी पीढ़ी भी आज UAE में रह रही है।
आगे की ज़िंदगी
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गफूर ने कई युवाओं को व्यक्तिगत तौर पर जॉब रेफरेंस और कागज़ात में मदद की।
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वे कहते हैं कि इसमें उनकी पत्नी (45 साल से साथी) ने भी बड़ा योगदान दिया, जिनके नेटवर्क से कई लोग जुड़े।
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अब केरल में वे आराम से रहकर लोगों से जुड़ना चाहते हैं और अपनी अरबी ब्रेड बनाने वाली कंपनी (जो उन्होंने 15 साल पहले शुरू की थी) पर ध्यान देंगे।




