नया आयकर कानून-2025 आम टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। अब तक चली आ रही जटिलताओं को खत्म करते हुए सरकार ने टैक्स सिस्टम को पूरी तरह बदलने का फैसला किया है। 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाला यह नया कानून 60 साल पुराने आयकर अधिनियम (1961) की जगह लेगा। इसका सबसे बड़ा आकर्षण नई टैक्स रेजीम है, जिसमें 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर टैक्स शून्य हो सकता है। साथ ही, रिटर्न भरने और गलतियों को सुधारने की प्रक्रिया को भी बेहद आसान और पारदर्शी बनाया गया है, जिससे करदाताओं को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
60 साल पुराने कानून की जगह लेगा नया सिस्टम, नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की कमाई पर नहीं देना होगा कोई टैक्स
अगस्त 2025 में संसद द्वारा पास किए गए इस नए कानून का मकसद टैक्स की भाषा को आम आदमी की समझ के मुताबिक बनाना है। अब ‘असेसमेंट ईयर’ जैसे भारी-भरकम शब्दों की जगह ‘कर वर्ष’ (Tax Year) जैसे सीधे शब्दों का इस्तेमाल होगा। सबसे बड़ी राहत मिडिल क्लास और नौकरीपेशा लोगों को मिली है। नई टैक्स रेजीम को डिफॉल्ट बनाया गया है, जिसमें रिबेट की सीमा बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दी गई है। इसके चलते, अगर कोई सैलरीड व्यक्ति नई व्यवस्था चुनता है, तो प्रभावी रूप से लगभग 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री हो जाएगी। स्लैब को भी तर्कसंगत बनाया गया है, जहां 4 लाख तक की आय पर 0% और 4 से 8 लाख पर केवल 5% टैक्स का प्रावधान है।
रिटर्न में गलती सुधारने के लिए अब मिलेगा पूरे 4 साल का वक्त, लेकिन देरी करने पर भरना होगा भारी जुर्माना
अक्सर टैक्सपेयर्स से रिटर्न भरते समय अनजाने में गलतियां हो जाती हैं या कोई आय छूट जाती है। पुराने नियम में इसे सुधारने (Updated ITR) के लिए केवल 2 साल (24 महीने) का समय मिलता था, जिसे अब बढ़ाकर 4 साल (48 महीने) कर दिया गया है। यह सुविधा आम करदाताओं को मुकदमों से बचाने के लिए दी गई है। हालांकि, यह समय सीमा मुफ्त नहीं होगी। अगर आप 12 महीने के भीतर सुधार करते हैं तो 25% अतिरिक्त टैक्स देना होगा, लेकिन अगर आप 4 साल के अंतिम चरण में रिटर्न अपडेट करते हैं, तो आपको टैक्स और ब्याज के साथ 70% तक अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ सकती है।
किराये और ब्याज की कमाई पर टीडीएस कटने की सीमा बढ़ी, सीनियर सिटीजन्स और किरायेदारों को मिली सीधी राहत
महंगाई को देखते हुए सरकार ने टीडीएस (TDS) के नियमों में भी बड़े बदलाव किए हैं। मकान का किराया देने वाले और ब्याज से कमाई करने वाले बुजुर्गों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। किराये पर टीडीएस काटने की सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर सीधे 6 लाख रुपये सालाना कर दी गई है, यानी इससे कम किराया होने पर टीडीएस का झंझट नहीं रहेगा। वहीं, सीनियर सिटीजन्स के लिए बैंक या पोस्ट ऑफिस की ब्याज आय पर टीडीएस छूट की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों (60+) और अति-वरिष्ठ नागरिकों (80+) के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और बेसिक एग्जेम्पशन में भी विशेष लाभ जारी रखे गए हैं।
शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए बदले नियम, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर अब 20 प्रतिशत होगी
निवेशकों के लिए यह कानून मिला-जुला असर लेकर आया है। बजट 2024-25 के बाद से इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) की दर 15% से बढ़ाकर 20% कर दी गई है, जिसे नए कानून में भी बरकरार रखा गया है। यानी कम समय में मुनाफा कमाने पर अब ज्यादा टैक्स देना होगा। वहीं, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 12.5% की दर लागू होगी, हालांकि इसमें सालाना छूट की सीमा 1.25 लाख रुपये तय की गई है। डेट फंड्स जैसे कुछ निवेश विकल्पों को अब सामान्य टैक्स स्लैब के दायरे में लाकर नियमों को पहले से ज्यादा सरल बनाया गया है।
टैक्स जमा करने में देरी अब नहीं मानी जाएगी अपराध, मोबाइल से रिटर्न भरना होगा और भी आसान
छोटे व्यापारियों और टैक्सपेयर्स को मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए टीडीएस और टीसीएस (TCS) में देरी को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। अब इसे केवल ‘सिविल डिफॉल्ट’ माना जाएगा, जिससे आपराधिक कार्रवाई का डर खत्म होगा। इसके साथ ही, छोटे-मोटे ऑनलाइन लेन-देन पर कटने वाले टीसीएस की सीमाओं को बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक ले जाया जा रहा है। तकनीक के मोर्चे पर, ITR फॉर्म्स को पूरी तरह री-डिजाइन किया गया है। अब फॉर्म में कॉलम कम होंगे और ज्यादा जानकारी पहले से भरी हुई (Pre-filled) आएगी, जिससे एक सामान्य करदाता अपने मोबाइल फोन से ही आसानी से रिटर्न दाखिल कर सकेगा।





