क्या सऊदी अरब और अमेरिका के संबंधों में खटास आ रही है…क्या पश्चिमी एशिया में नये राजनीतिक समीकरण बनते नजर आ रहे हैं और क्या ईरान ने सऊदी अरब को लेकर अपना दुश्मनी वाला रुख बदल दिया है…!
अगर इनसभी सवालों के जवाब ‘हां’ है तो क्या कोरोना वायरस ने दुनिया की राजनीति बदल दी है या बदले हुए मौसम में ट्रंप ने सऊदी अरब को अकेले छोड़ दिया है। ये ढेर सारे सवाल ट्रंप के एक आदेश से उठने शुरू हो गये हैं। ट्रंप ने सऊदी अरब पर ईरानी हमले की आशंका के मद्देनजर पेट्रियॉट एंटी मिसाइल सिस्टम तैनात किया था। ट्रंप ने अब इस एंटी मिसाइल सिस्टम को सऊदी अरब की सुरक्षा से वापस ले लिया है।
हालांकि, अमेरिका ने दावा कहा है कि पेट्रियॉट एंटी मिसाइल सिस्टम को हटाया जाना एक नियमित प्रक्रिया है। इस सिस्टम को हटाये जाने का मतलब यह नहीं है कि अमेरिका ने सऊदी से दोस्ती का नाता तोड़ लिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि ट्रंप और सऊदी अरब के किंग सलमान ने फोन पर बातचीत की और रक्षा के क्षेत्र में पार्टनरशिप जारी रखने का वादा किया है। वाइट हाउस प्रवक्ता जुड डीर ने बताया कि दोनों नेताओं ने ग्लोबल एनर्जी मार्केट में स्थिरता की अहमियत पर चर्चा की और अमेरिका-सऊदी रक्षा सहयोग पर भी दृढ़ता दिखाई।
सऊदी अरब की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसके हितों की रक्षा करने के लिए और क्षेत्र में दूसरे सहयोगियों की सुरक्षा के लिए समर्पण जताया है।हालांकि खबरें ऐसी भी हैं कि पिछले महीने एक फोन कॉल पर ट्रंप ने सलमान को चेतावनी दी थी कि अगर सऊदी ने तेल का उत्पादन कम नहीं किया तो अमेरिका अपनी फोर्स हटाने पर मजबूर हो जाएगा। कोरोना वायरस महामारी की वजह से तेल की मांग कम है जिससे ग्लोबल इकॉनमी पर नकारात्मक असर पड़ा है।
आपको बताते चलें कि सऊदी अरब में अमेरिकी सेना सऊदी अरब के सुरक्षा के लिए तैनात हैं और वह सऊदी अरब पर बाहरी आक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं. सऊदी अरब और मध्य पूर्व एशिया का सबसे बड़ा अमेरिका से हथियार ख़रीदने वाला देश है लेकिन फिर भी सऊदी अरब के पास बड़ी सुरक्षा बजट होने के बावजूद अपनी ख़ुद की है सेना में ट्रेंड सैनिकों की भारी कमी है.जिसका एक यह भी निकाला जाता रहा है कि सऊदी सल्तनत ख़ुद की फ़ौज को ज़्यादा मज़बूती नहीं देना चाहती हैं क्योंकि उन्हें सऊदी अरब में हमेशा तख्तापलट का डर सताता रखता है.GulfHindi.com
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