मोदी सरकार वंदे भारत के बहुत बड़ी उपलब्धि बता रही है लेकिन इसकी पोल उन यात्रियों ने खोली है जो इसमें सफर कर रहे है। वे बता रहे है कि सरकार ने टिकट बेचने में लूट मचा रखी है अभी वंदे भारत अभियान के तहत दिल्ली से ह्यूस्टन का किराया 1.03 लाख रुपये तय है जो सामान्य दिनों के किराए से दोगुना है। इसी तरह, दिल्ली-टोरंटो और दिल्ली-वैंकुवर के टिकट की कीमत 1.07 लाख रुपये वसूली जा रही है।
यात्रियों की एक और शिकायत है- एयर इंडिया की वेबसाइट में समस्या आने की।एक झल्लाए यात्री ने ट्वीट कर गुस्सा निकाला। उसने कहा कि एयर इंडिया को 9 गुना तक किराया देना पड़ सकता है। उसकी वेबसाइट पर टिकट बुक करने पर कई बार पैसा कट जाएगा, लेकिन ट्रांजेक्शन फेल्योर का मेसेज मिलता रहेगा।
एयर इंडिया द्वारा देशभक्ति के नाम से ओतप्रोत वंदे भारत मिशन से हजारों फंसे हुए भारतीयों को उम्मीद थी कि उक्त राष्ट्रीय वाहक अतीत में बड़े पैमाने पर निकासी अभियानों की तरह उनकी भी मुफ्त घर वापसी करवाएंगे, जैसे उन्होंने पूर्व में लाखों भारतीयों की युद्धरत क्षेत्रों से उनकी घर वापसी को अंजाम दिया था।
हालांकि उनकी यह उम्मीद तब चकनाचूर हो गई जब उन्होंने भारतीय दूतावासों पर हस्ताक्षर के समय पता चला कि उन्हें घर वापसी के लिए एयर टिकट और अनिवार्य 14-दिवसीय होटल क्वॉरेंटाइन के लिए 1 लाख रुपए का भुगतान करना होगा।
विदेशों में फंसे भारतीयों की घर वापसी और फिर होटल में मंहगे क्वारेंटाइन का खर्च हजारो छात्रों की कमर तोड़ने के लिए काफी हैं, इसके अलावा यात्रियों को विमानों की राउंड ट्रिप का भुगतान करना पड़ रहा है।
दरअसल जो भी देश वापस लौटना चाहता है उसे अनिवार्य 14 दिवसीय क्वॉरेंटाइन एयरइंडिया के अनुबंधित होटलो में करना जरूरी है जहां निवास करने और तीन टाइम भोजन के लिए प्रति दिन 4,000-7,000 रुपये का खर्च आता है, जो उनकी घर वापसी की लागत को 50,000 रुपए या उससे अधिक बढ़ा देता है।
साफ़ है कि महंगे होटलो से ऐसे समझौते एयर इंडिया के लालची आला अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार के नए अवसर खोल रहे है। जैसा कि हमारे मोदी जी ने कहा ही है ‘आपदा में अवसर’
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