उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) की अनुसंधान रिपोर्ट जारी कर दी है, जिसके तहत लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कई नए नियम प्रस्तावित किए गए हैं। ये नियम इस साल के अंत तक लागू हो सकते हैं, जिससे उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां UCC लागू होगा।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए प्रमुख नियम:
- अनिवार्य पंजीकरण: अब लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को अपना रिश्ता पंजीकृत कराना होगा।
- आयु सीमा और माता-पिता की सहमति:
- 18 से 21 वर्ष के जोड़ों को लिव-इन में रहने के लिए पंजीकरण कराना होगा और इसके लिए माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य होगा।
- 21 वर्ष से अधिक आयु के जोड़ों को भी पंजीकरण कराना होगा, लेकिन उन्हें माता-पिता की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी।
- पंजीकरण प्रक्रिया: लिव-इन जोड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या मोबाइल ऐप के माध्यम से अपना पंजीकरण करा सकेंगे।
- समय सीमा: लिव-इन में रहने के 30 दिनों के अंदर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- जुर्माना और सजा: पंजीकरण नहीं कराने पर जुर्माना और जेल का प्रावधान है।
क्यों जरूरी हैं ये नियम?
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के बीच अक्सर आपसी जिम्मेदारी, संपत्ति, बच्चों के अधिकार और उत्तराधिकार को लेकर विवाद होते रहे हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य ऐसे विवादों को कम करना और लिव-इन रिलेशनशिप को एक कानूनी ढांचा प्रदान करना है।
आगे क्या?
सरकार का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक UCC को लागू कर दिया जाए। इससे पहले, सरकार जनता से इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया और सुझाव भी मांगेगी।
आपके लिए क्या मायने रखता है?
अगर आप उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में हैं या रहने की सोच रहे हैं, तो इन नए नियमों के बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। ये नियम आपके अधिकारों और जिम्मेदारियों को प्रभावित कर सकते हैं।