बुधवार सुबह का सूरज जरा सा झूमने चला था कि जम्मू एंड कश्मीर बैंक के शेयरों ने उसे पूरी तरह से चौंका दिया। जी हां, शुरुआती घंटों में ही शेयर में 4% की जबरदस्त गिरावट! और इसकी वजह? जीएसटी के नाम पर बड़ा-सा टैक्स डिमांड।
अब सुनिए, बात सिर्फ टैक्स की नहीं है, बात तो यहाँ 8,161 करोड़ रुपये की है। जी हाँ, बैंक के मार्केट कैप से भी ज्यादा रकम का GST डिमांड और पेनल्टी दोनों लगा दिए गए हैं। वैसे आपको बता दें कि बैंक का बाजार मूल्यांकन इस समय 11,210 करोड़ रुपये है। मानों जैसे GST विभाग ने कहा हो – “ज्यादा उम्मीद मत पालो, सब ले लेंगे।”
अब आप सोच रहे होंगे कि बैंक क्या कर रहा है? J&K Bank ने भी तलवार खींच ली है। उनका कहना है कि जीएसटी डिमांड उनके अनुसार कानूनी तौर पर कुछ मजबूत नहीं है और कोर्ट में इसे खारिज करा देंगे। बैंक ने साफ किया है कि पक्की कानूनी मदद ली है, और इससे उनकी कमाई, संचालन या अन्य बैंकिंग एक्सपर्ट्स की गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
ओह, बात अगर सीधे तौर पर करें तो जेके बैंक ने दावा किया है कि उनकी कॉरपोरेट हेडक्वार्टर और ब्रांचेज के बीच पैसों के ट्रांसफर पर ये जीएसटी लगाया गया है, जो कि फाइनेंशियल सर्विसेज का हिस्सा माना गया है। यह मामला 8 जुलाई 2017 से 31 मार्च 2020 तक के लेनदेन का है। आपको याद दिला दें कि टीपीएम का आधार कुछ इसी तरह का होता है, और टेक्सपर्ट्स के अनुसार इस पर जीएसटी लगाना गलत है।
अब इस सारी हलचल के बीच, शेयरों का क्या हाल है? पिछले एक साल में शेयरों ने 30% की गिरावट दिखाई है, जबकि पांच साल में 346% उछाल। और अगर लंबी अवधि की बात करें तो, 1999 से अब तक बैंकों के शेयर ने लड़खड़ करने के बजाय 4,984.50% का शानदार रिटर्न दिया है। थोड़ा निराशाजनक ये है कि पिछले छह महीनों में भी 8% की गिरावट ही देखने को मिली है।