जम्मू से पंजाब की ओर बिना चालक के दौड़ती मालगाड़ी कल्पना से भी ज्यादा खतरनाक लगती है। 51 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 70 किलोमीटर का सफर तय कर चुकीं इस मालगाड़ी को रोकने में रेलवे के पसीने छूट गए। आखिरकार, यह कैसे रोकी गई?
रविवार 25 फरवरी को जम्मू के कठुआ से एक मालगाड़ी बिना ड्राइवर और गार्ड के पंजाब के होशियारपुर तक पहुंच गई। यह घटना रेलवे की लापरवाही को उजागर करती है। 53 बोगियों वाली यह मालगाड़ी 70 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी थी जब रेल अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली। भारी मशक्कत के बाद बालू की बोरियां रखकर इसे रोका गया।
घटनाक्रम:
- सुबह 6 बजे: कठुआ स्टेशन पर चिप पत्थर से लदी मालगाड़ी को खड़ा किया गया।
- रेलवे मैन्युअल के अनुसार, ढलान में मालगाड़ी के पहियों को लकड़ी के गुटके, सेफ्टी जंजीर और ब्रेक लॉक से सुरक्षित किया जाना चाहिए था।
- लापरवाही के कारण, इन सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया।
- सुबह 7:30 बजे: मालगाड़ी अपने आप ढलान पर चलने लगी।
- 70 किलोमीटर का सफर तय करते हुए, मालगाड़ी ने 51 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पकड़ी।
- रेल अधिकारियों को इसकी जानकारी मिलने पर, उन्होंने मालगाड़ी को रोकने के लिए आपातकालीन प्रयास शुरू किए।
- बालू की बोरियां रखकर, 12:30 बजे होशियारपुर में मालगाड़ी को रोका गया।
जांच:
- रेलवे ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
- अभी तक किसी के हताहत होने या संपत्ति की नुकसान की सूचना नहीं है।
- इसी तरह की घटनाएं 2017 में महाराष्ट्र और 2023 में मथुरा में भी हो चुकी हैं।
लापरवाही:
- इस घटना में रेलवे कर्मचारियों की घोर लापरवाही सामने आई है।
- रेलवे मैन्युअल में त्रिस्तरीय सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई।
- इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
संबंधित घटनाएं:
- 2017: महाराष्ट्र में 13 किलोमीटर तक बिना पायलट के दौड़ी थी ट्रेन
- 2023: मथुरा में ईएमयू बिना ड्राइवर के चलाए अपने आप प्लेटफॉर्म पर चढ़ गई थी