2021 से 2025 के बीच कतर ने मजदूरों के लिए कई बड़े बदलाव किए। 2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप से पहले, दुनिया की नज़रें जब इस देश पर थीं, तब सरकार ने कामगारों की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए कई कानून बदले।
क्या बदला गया?
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कफ़ाला सिस्टम खत्म हुआ: पहले मजदूर मालिक की इजाज़त के बिना नौकरी नहीं बदल सकते थे या देश नहीं छोड़ सकते थे। अब यह जरूरी नहीं है।
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सभी मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन तय किया गया — 1,000 कतर रियाल (करीब ₹22,900) के अलावा खाने और रहने के लिए अलग भत्ता।
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ऑनलाइन शिकायत व्यवस्था शुरू हुई। अब मजदूर अपनी शिकायतें मोबाइल या कंप्यूटर से कर सकते हैं, और गुप्त तरीके से भी शिकायत कर सकते हैं।
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जुलाई और सितंबर के बीच दोपहर के समय (10 बजे से 3:30 बजे तक) बाहर काम करने पर रोक लगाई गई ताकि मजदूरों को गर्मी से बचाया जा सके।
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सैलरी अब डिजिटल तरीके से मिलती है, जिससे वेतन में धोखाधड़ी कम हो रही है।
नए नियमों का क्या फायदा हुआ?
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करीब 3.5 लाख मजदूरों ने नौकरी बदली, जो पहले संभव नहीं था।
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अधिकतर शिकायतों का हल मजदूरों के पक्ष में हुआ।
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मजदूरों के लिए एक सुरक्षा फंड भी है, जिससे उन्हें पैसा मिलता है अगर मालिक पैसे न दे।
क्या समस्याएं अभी भी हैं?
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कुछ मालिक अब भी मजदूरों को धमकाते हैं या झूठे केस करते हैं कि वह “फरार हो गया।”
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मजदूरों को यूनियन बनाने या सामूहिक रूप से आवाज उठाने की आज़ादी नहीं है।
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कुछ लोगों को अब भी पूरी सैलरी नहीं मिलती या रहने की जगह खराब होती है।
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कानूनी प्रक्रिया में समय लगता है, जिससे न्याय मिलने में देर होती है।
क्या निकला नतीजा?
कतर ने बहुत सारे सुधार किए हैं और यह अच्छा संकेत है। लेकिन असली बदलाव तभी होगा जब ये नियम ज़मीन पर सही तरीके से लागू होंगे। अगर कतर इन सुधारों को पूरी तरह निभाता है, तो यह पूरी खाड़ी देशों के लिए एक मिसाल बन सकता है।




