भारत और ओमान के बीच आर्थिक और रोजगार के रिश्तों में एक नया और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। खाड़ी देश ओमान ने भारतीय कामगारों और पेशेवरों के लिए बड़ा दिल दिखाते हुए अपनी वर्कफोर्स पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है।
18 दिसंबर, 2025 को मस्कट में हस्ताक्षरित नए ‘व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते’ (CEPA) के तहत, ओमान ने कंपनियों में भारतीय कर्मचारियों की अधिकतम सीमा को 20% से बढ़ाकर 50% करने पर सहमति जताई है।
क्या है यह बड़ा फैसला? अब तक ओमान में कंपनियों पर यह नियम था कि वे एक निश्चित सीमा (20%) से ज्यादा भारतीय कर्मचारियों को नहीं रख सकती थीं। लेकिन भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के मंत्री कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ के बीच हुए इस समझौते ने इस बाधा को हटा दिया है।

इसका सीधा मतलब है कि ओमान में काम करने वाली भारतीय और स्थानीय कंपनियां अब अपने कुल कर्मचारियों में आधे यानी 50% तक भारतीय पेशेवरों को नौकरी पर रख सकेंगी।
भारतीयों को मिलेंगे ये खास फायदे:
-
नौकरी के ज्यादा मौके: आईटी (IT), इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर और कंसल्टिंग जैसे सेक्टर्स में भारतीय हुनर की मांग पूरी करने के लिए कंपनियों को अब ज्यादा आजादी मिलेगी।
-
वीजा नियमों में बड़ी राहत:
-
कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारी: अब 2 साल तक के लिए ओमान में रह सकेंगे और इसे आगे बढ़ाने (extension) की भी सुविधा होगी।
-
बिजनेस विजिटर्स: स्वतंत्र पेशेवरों और बिजनेस के सिलसिले में आने वालों को लंबी अवधि की एंट्री मिलेगी।
- ट्रांसफर: कंपनियों के भीतर ट्रांसफर (Intra-Corporate Transferees) होने वाले कर्मचारियों का कोटा बढ़ाया गया है।
-
भविष्य के लिए सुरक्षा की गारंटी इस समझौते की सबसे खास बात इसमें शामिल ‘स्टैंडस्टिल क्लॉज’ (Standstill Clause) है। इसका मतलब है कि भविष्य में ओमान सरकार इस 50% की सीमा को घटा नहीं सकेगी। यह नियम भारतीयों के लिए परमानेंट हो गया है। साथ ही, अगर ओमान भविष्य में किसी अन्य सार्क (SAARC) देश को इससे बेहतर सुविधा देता है, तो भारत को वह सुविधा अपने आप मिल जाएगी।
व्यापार में भी फायदा सिर्फ नौकरियों ही नहीं, बल्कि व्यापार में भी भारत को फायदा होगा। भारतीय निर्यातकों को ओमान के बाजार में ‘जीरो-ड्यूटी एक्सेस’ (बिना कस्टम ड्यूटी के सामान भेजना) मिलेगा। साथ ही, ओमान ने स्वास्थ्य, शिक्षा और तकनीक समेत 127 सर्विस सेक्टर्स भारतीय कंपनियों के लिए खोल दिए हैं।




