राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में निवेश करने वालों के लिए नियमों में बड़े और राहत भरे बदलाव किए गए हैं। इन नए संशोधनों का सीधा मकसद निवेशकों को रिटायरमेंट के बाद ज्यादा से ज्यादा नकदी उपलब्ध कराना और निवेश को लचीला बनाना है। इन फैसलों से न केवल सरकारी बल्कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद मिलेगी। एनपीएस के नियमों में हुए इन बदलावों से अब खाताधारकों के हाथ में अधिक पैसा आएगा और पैसे निकालने की प्रक्रिया पहले से काफी सरल हो जाएगी।
अब 85 साल की उम्र तक एनपीएस खाते को जारी रखने की मिली छूट, बढ़ाई गई अधिकतम समय सीमा
सबसे बड़ा बदलाव निवेश की उम्र सीमा को लेकर किया गया है। अब तक एनपीएस में बने रहने की अधिकतम उम्र 75 साल थी, जिसे अब बढ़ाकर 85 साल कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई निवेशक 60 साल के बाद भी अपने पैसे को बढ़ाना चाहता है और तुरंत निकासी नहीं करना चाहता, तो उसके पास अब 10 साल का अतिरिक्त समय होगा। यह उन लोगों के लिए बेहतरीन कदम है जो लंबी अवधि में अपने रिटायरमेंट फंड पर कंपाउंडिंग का लाभ लेना चाहते हैं।
निजी कर्मचारियों की जेब में आएगी ज्यादा रकम, केवल 20 फीसदी फंड से पेंशन प्लान लेना जरूरी
पेंशन फंड के इस्तेमाल को लेकर भी नियमों को उदार बनाया गया है। नए नियमों के तहत, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए अब कुल जमा राशि (कॉर्पस) का कम से कम 20 प्रतिशत हिस्सा ही एन्युटी (पेंशन प्लान) खरीदने में लगाना अनिवार्य होगा। पहले यह सीमा अलग थी, जिसके कारण हाथ में कम नकदी आती थी। इस बदलाव का सीधा अर्थ यह है कि रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी एक बड़ा हिस्सा एकमुश्त निकाल सकते हैं, जिससे उनकी जेब में खर्च करने के लिए ज्यादा रकम होगी।
फंड कम होने पर नहीं फंसेगा पैसा, 8 लाख रुपये तक की जमा राशि को एकमुश्त निकालने की आजादी
छोटे निवेशकों या कम फंड वाले खाताधारकों के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी है। यदि किसी सदस्य का कुल जमा कोष 8 लाख रुपये या उससे कम है, तो अब उसे पेंशन प्लान खरीदने की बाध्यता नहीं होगी। ऐसे निवेशक अपनी पूरी जमा राशि एक साथ निकाल सकते हैं। इससे उन लोगों को फायदा होगा जिनका एनपीएस फंड बहुत बड़ा नहीं है, क्योंकि वे अब अपने पूरे पैसे का इस्तेमाल अपनी मर्जी से कर सकेंगे।
सिस्टमैटिक विड्रॉल के जरिए किस्तों में पैसा पाने का नया विकल्प, अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकेंगे प्लानिंग
पैसा निकालने के तरीकों में भी लचीलापन लाया गया है। जिन निवेशकों का कुल कोष 8 लाख से 12 लाख रुपये के बीच है, उनके लिए विशेष व्यवस्था की गई है। ऐसे निवेशक 6 लाख रुपये तक की रकम एकमुश्त निकाल सकते हैं और बाकी बची रकम को ‘सिस्टमैटिक लम्प सम विड्रॉल’ (SLW) के जरिए किस्तों में प्राप्त कर सकते हैं। सरकारी और निजी कर्मचारियों के लिए किस्तों में पैसे निकालने के अलग-अलग विकल्प दिए गए हैं, जिसमें वे बची हुई रकम को 6 साल तक किस्तों में ले सकते हैं या उससे पेंशन प्लान खरीद सकते हैं।
जरूरत पड़ने पर अब चार बार कर सकेंगे आंशिक निकासी, नियमों में दी गई बड़ी ढील
नौकरी या निवेश की अवधि के दौरान पैसे की अचानक जरूरत पड़ने पर भी अब ज्यादा सहूलियत मिलेगी। अब सेवाकाल के दौरान अधिकतम चार बार आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) की जा सकेगी, जबकि पहले यह सीमा केवल तीन बार थी। हालांकि, इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए एक शर्त यह है कि दो निकासी के बीच कम से कम चार साल का अंतर होना अनिवार्य होगा। यह बदलाव मेडिकल इमरजेंसी या बच्चों की पढ़ाई जैसे खर्चों के लिए मददगार साबित होगा।
60 साल के बाद भी निवेश में बने रहने वालों को मिलेगी बीच-बीच में पैसे निकालने की सुविधा
जो लोग 60 साल की उम्र के बाद भी योजना में बने रहना चाहते हैं, वे भी अब समय-समय पर पैसा निकाल सकेंगे। नए प्रावधानों के मुताबिक, 60 साल के बाद भी आंशिक निकासी संभव होगी, लेकिन इसके लिए दो निकासी के बीच तीन साल का गैप रखना होगा। साथ ही, निवेशक अपने द्वारा किए गए योगदान का अधिकतम 25 प्रतिशत हिस्सा ही निकाल पाएंगे। यह नियम बुजुर्गों को लिक्विडिटी यानी नकदी का प्रवाह बनाए रखने में मदद करेगा।





