गुरुग्राम में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को नई रफ्तार देने और ट्रैफिक की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए एक अनूठा प्रस्ताव तैयार किया गया है। गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड पर जाम की समस्या सुलझाने और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार और स्थानीय प्राधिकरण ने केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय को एक महत्वपूर्ण सुझाव भेजा है। इसके तहत एक ही पिलर पर एलिवेटेड रोड और मेट्रो लाइन बनाने की योजना है, जिससे न सिर्फ बेशकीमती जमीन की बचत होगी बल्कि प्रोजेक्ट की लागत भी काफी कम हो जाएगी। यदि इस प्रस्ताव पर केंद्र की मुहर लगती है, तो यह शहर के परिवहन ढांचे में एक क्रांतिकारी बदलाव होगा।
एक ही पिलर पर ‘डबल डेकर’ सिस्टम से बदल जाएगी गोल्फ कोर्स रोड की तस्वीर, सेक्टर-56 से पंचगांव तक बनेगा कॉरिडोर
गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड के सेक्टर-56 से लेकर पंचगांव तक एलिवेटेड रोड बनाने की योजना पहले से है, और इसी रूट पर मेट्रो विस्तार का भी प्रस्ताव है। अभी तक के नियमों के मुताबिक, एलिवेटेड रोड और मेट्रो के लिए अलग-अलग पिलर और अलग-अलग जमीन की आवश्यकता होती है, जो काफी खर्चीला और जगह घेरने वाला काम है। नए प्रस्ताव में कॉमन पिलर या स्ट्रक्चर डिजाइन करने की बात कही गई है। इसका मतलब है कि एक ही पिलर पर ‘थ्री-लेयर’ ट्रांसपोर्ट सिस्टम होगा— सबसे नीचे मौजूदा सड़क यातायात के लिए रहेगी, बीच में एलिवेटेड रोड होगा और सबसे ऊपर मेट्रो लाइन गुजरेगी।
प्रोजेक्ट की लागत में आएगी 15 से 20 फीसदी तक की बड़ी गिरावट, जमीन अधिग्रहण का झंझट और निर्माण के दौरान जाम भी होगा कम
तैयार किए गए कॉन्सेप्ट के अनुसार, अगर मेट्रो और एलिवेटेड रोड को एक ही एकीकृत पिलर सिस्टम पर बनाया जाता है, तो प्रोजेक्ट की कुल लागत में 15 से 20 प्रतिशत तक की भारी बचत हो सकती है। इसके अलावा, सबसे बड़ी राहत जमीन अधिग्रहण को लेकर होगी, क्योंकि कॉमन स्ट्रक्चर के लिए काफी कम जमीन की जरूरत पड़ेगी। निर्माण कार्य के दौरान भी इसका फायदा आम जनता को मिलेगा। अलग-अलग पिलर और नींव खोदने के बजाय एक ही स्ट्रक्चर पर काम होने से सड़क पर कम जगह घिरेगी, जिससे निर्माण के दौरान लगने वाले ट्रैफिक जाम से लोगों को राहत मिलेगी।
सेक्टर 56 से पंचगांव तक लाखों लोगों को मिलेगा सीधा फायदा, NH-48 और साइबर सिटी रूट पर भी कम होगा वाहनों का दबाव
गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड और NH-48 से रोजाना लाखों लोग गुरुग्राम शहर, साइबर सिटी और दिल्ली की ओर आवागमन करते हैं। आने वाले वर्षों में यहां ट्रैफिक का दबाव और बढ़ने की आशंका है। प्रस्तावित मेट्रो लाइन और एलिवेटेड रोड अगर इसी साझा कॉरिडोर पर बनते हैं, तो सेक्टर 56, 57, 58, 59, 60, 61 से लेकर आगे पंचगांव और मानेसर तक की बड़ी आबादी को सीधी मेट्रो सुविधा मिल सकेगी। सार्वजनिक परिवहन का यह मजबूत विकल्प मिलने से लोग अपनी कारों पर कम निर्भर रहेंगे, जिससे सड़कों पर भीड़ और प्रदूषण दोनों में कमी आएगी।
केंद्र की मंजूरी मिलते ही विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) पर शुरू होगा काम, देश के दूसरे शहरों के लिए भी नजीर बनेगा यह मॉडल
फिलहाल यह प्रस्ताव शहरी विकास मंत्रालय के विचाराधीन है। मंत्रालय से औपचारिक सहमति मिलने के बाद परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (DPR) में नए सिरे से काम किया जाएगा, जिसमें संरचनात्मक डिजाइन, सुरक्षा मानकों और लागत का पूरा विश्लेषण शामिल होगा। जानकारों का मानना है कि अगर केंद्र से इसे मंजूरी मिल जाती है, तो यह मॉडल देश के अन्य शहरों के लिए भी एक उदाहरण साबित होगा। जिन शहरों में मेट्रो और एलिवेटेड रोड एक ही कॉरिडोर में प्रस्तावित हैं, वहां इस मॉडल को अपनाकर शहरी परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर को अधिक कॉम्पैक्ट और किफायती बनाया जा सकेगा।




