पश्चिम बंगाल के सुंदरवन के घने जंगलों और नदियों के बीच से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है। यहाँ जीवन और मौत के संघर्ष में एक पति ने अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए मौत से सीधा मुकाबला किया। उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए एक आदमखोर बाघ से सीधी लड़ाई मोल ले ली। यह घटना साहस की एक अद्भुत मिसाल बन गई है, जहां पति ने यमराज के रूप में आए बाघ के मुंह से अपनी पत्नी को छीन लिया। हालांकि, इस भयानक संघर्ष में महिला गंभीर रूप से घायल हो गई है और फिलहाल अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है।
मछली पकड़ते वक्त झाड़ियों से निकले बाघ ने किया जानलेवा हमला, जबड़े में जकड़कर घने जंगल की ओर खींचने लगा पत्नी को
यह दिल दहला देने वाली वारदात दक्षिण 24 परगना जिले के सुंदरवन इलाके की है। पति-पत्नी अपने कुछ साथियों के साथ कस्तूर द्वीप के पास नदी किनारे मछली पकड़ने गए थे। वे अपने काम में व्यस्त थे, तभी अचानक झाड़ियों में घात लगाकर बैठे एक बाघ ने बिजली की तेजी से महिला पर हमला कर दिया। बाघ ने महिला को अपने जबड़े में बुरी तरह जकड़ लिया और उसे घसीटते हुए घने जंगल की ओर ले जाने लगा। यह मंजर इतना भयानक था कि वहां मौजूद किसी भी व्यक्ति के हाथ-पांव फूल सकते थे, लेकिन महिला के पति ने हिम्मत नहीं हारी।
मौत के सामने अड़ गया पति; डंडे और जाल से बाघ पर किया पलटवार, खून से लथपथ हालत में महिला को अस्पताल पहुंचाया गया
अपनी आंखों के सामने पत्नी को मौत के मुंह में जाते देख पति ने बिना एक पल गंवाए बाघ पर धावा बोल दिया। वहां मौजूद साथियों ने शोर मचाना शुरू किया, जबकि पति ने डंडे और मछली पकड़ने वाले जाल से बाघ पर लगातार वार किए। पति के इस रौद्र रूप और लगातार हो रहे हमलों से घबराकर आखिरकार बाघ को अपना शिकार छोड़कर भागना पड़ा। हालांकि, बाघ के नुकीले दांतों और पंजों से महिला के शरीर पर गहरे जख्म हो गए हैं। साथियों और स्थानीय लोगों की मदद से खून से लथपथ महिला को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है।
पेट की आग बुझाने के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं लोग, वन विभाग की चेतावनियों के बावजूद रोजी-रोटी की खातिर ‘मौत के जोन’ में जाते हैं मछुआरे
सुंदरवन के डेल्टा क्षेत्र में इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की यह कोई पहली घटना नहीं है। यहाँ के स्थानीय निवासी अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह जंगल और नदियों पर निर्भर हैं। लोग अक्सर मछली, केकड़ा, झींगा पकड़ने या शहद और लकड़ी इकट्ठा करने के लिए मैंग्रोव के बीहड़ जंगलों में चले जाते हैं। वन विभाग और प्रशासन द्वारा समय-समय पर लोगों को सुरक्षित जोन से बाहर न जाने की चेतावनी दी जाती है और केवल अनुमति एवं सुरक्षा नियमों के साथ ही जंगल में प्रवेश करने की सलाह दी जाती है। इसके बावजूद, गरीबी और रोजी-रोटी की मजबूरी कई बार लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर इन खतरनाक इलाकों में जाने पर मजबूर कर देती है।




