संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के रास अल खैमाह में हुई भारी बारिश ने एक परिवार को कभी न भरने वाला जख्म दे दिया है। यहां तेज बारिश और तूफान के दौरान दीवार गिरने से केरल के 27 वर्षीय युवक सलमान फारिज की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे प्रवासी भारतीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। सोमवार की सुबह उनका पार्थिव शरीर दुबई से कोझिकोड एयरपोर्ट लाया गया, जहां से मलप्पुरम जिले में स्थित उनके पैतृक गांव ले जाकर उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
देर रात डिलीवरी देने निकले सलमान को नहीं पता था कि बारिश और तूफान के बीच वो अपने आखिरी सफर पर हैं, बाइक खराब होने पर ली थी शरण
हादसे की यह दुखद घटना 18 दिसंबर 2025 की सुबह करीब 3 बजे रास अल खैमाह के नखील इलाके में घटी। सलमान एक कैफेटेरिया में काम करते थे और भारी बारिश के बीच ऑर्डर डिलीवर करने निकले थे। इसी दौरान उनकी मोटरसाइकिल खराब हो गई। उनके नियोक्ताओं ने उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर रुकने की सलाह दी थी। बारिश और तेज हवाओं से बचने के लिए सलमान ने पास ही एक निर्माणाधीन इमारत के पास या उसके अंदर शरण लेने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्यवश उसी वक्त एक दीवार भरभराकर गिर पड़ी। मलबे की चपेट में आने से उनकी पसलियों में गंभीर फ्रैक्चर हुआ और आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding) के कारण उन्हें कार्डियक अरेस्ट आ गया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
रेजिडेंस वीजा स्टैम्पिंग से महज कुछ घंटे पहले टूटा सांसों का डोर, निकाह के बाद अधूरे रह गए जिंदगी के सपने
सलमान की मौत से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उन्होंने इसी साल फातिमा सफा से निकाह किया था और जल्द ही कानूनी तौर पर शादी की प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी कर रहे थे। नियति का क्रूर मजाक देखिए कि सलमान का नया यूएई रेजिडेंस वीजा हादसे के कुछ ही घंटों बाद स्टैम्प होना था। नियोक्ताओं ने आरएके (RAK) अधिकारियों के सहयोग से कागजी कार्रवाई को तेजी से पूरा किया ताकि उनके शव को जल्द से जल्द वतन भेजा जा सके। सलमान अपने बुजुर्ग माता-पिता और दो बहनों का इकलौता सहारा थे, उनकी मौत से घर का चिराग बुझ गया है।
काश पास की दुकान में रुक जाते तो बच जाती जान, मेहनती युवक की मौत से गमगीन हुआ पूरा भारतीय समुदाय
सलमान के नियोक्ता के.के. मोहम्मद और अब्दुल शकूर ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि सलमान बेहद मेहनती इंसान थे। उनका कहना है कि अगर सलमान निर्माणाधीन इमारत की जगह पास की किसी खुली दुकान में शरण लेते, तो शायद आज वो हमारे बीच जिंदा होते। सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल नासर ने कानूनी प्रक्रियाओं और शव को भारत भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सलमान के निधन से यूएई में रहने वाले भारतीय समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है। गौरतलब है कि यूएई में हुई इस भारी बारिश के कारण कई इलाकों में जलभराव और अन्य नुकसान की भी खबरें सामने आई हैं।




