कहीं ‘सोने का द्वीप’ के बारे में सुना है क्या
क्या कहीं ‘सोने का द्वीप’ हो सकता है। यह मात्र कल्पना और कहानियों-किस्सों की बात लगती है। लेकिन हमें यह भी जान लेना चाहिए कि जो भी हम कल्पना करते हैं वह सब संभव है। आज हमारे सामने जितनी भी चीजें मौजूद है उनकी कभी ना कभी, किसी ना किसी ने कल्पना की होगी। आइए जानते हैं कि सोने का द्वीप आखिर है कहां?
इस मुस्लिम देश में मिला है सोने का द्वीप
बताते चलें कि इंडोनेशिया के पालेमबैंग प्रांत की मूसी नदी में यह ‘सोने का द्वीप’ मिला है। इस द्वीप को लेकर वहां पर कई सारी लोक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि द्वीप पर रहने वाले सांप इंसानों को खाते थे। हिंदी भाषा में बात करते तोते और हर समय फटते ज्वालामुखी। वास्तव में यह स्थान किसी किस्से की तरह है जहां जाने की कल्पना इंसान करता है और फिर वह मालामाल हो जाता है।
समृद्ध और अमीरों से भरा था यह शहर
इंडोनेशिया के प्राचीन इतिहास में श्रीविजया शहर (Srivijaya City) कहा जाता था और यहां राजा राज करते थे। यह बहुत समृद्ध और अमीरों से भरा था। लेकिन फिर भारतीय चोल साम्राज्य (Chola Dynasty) से युद्ध के बाद सब बिखर गया। नगर की सारी खुबसूरती नष्ट हो गई। फिर से राजाओं ने इसे जीतकर शहर बनाने की कोशिश की लेकिन उनकी सारी कोशिश नाकाम हो गई।
वहां की संस्कृति आदि की नहीं है कोई जानकारी
धीरे धीरे यह स्थान चीनी समुद्री डकैतों के कब्जे में आ गया। श्रीविजया के संस्कृति, वहां के लोगों के रहन सहन के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिली है और यह भी रहस्य ही है कि वहां इतना सोना आया कहां से।
अब तक कई सोने और कीमती धातु की वस्तुएं मिल चुकी हैं
अभी फिलहाल सरकार कोई भी ऐसा कदम या खनन कार्य नहीं कर रही है जिससे यह पता लगाया जा सके कि वाकई में वहां पर कोई खो चुका सोना से भरा शहर है या नहीं। लेकिन गोताखोरों को सोने की तलवार, सोने और माणिक से बनी अंगूठी, आदि कई तरह को वस्तुएं अवश्य मिलती हैं जिन्हें वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले निजी लोगों को बेच देते हैं।
निर्माण कंपनियां जब रेत निकालती हैं तब मिलने लगता है सोना
अब बिना इंडोनेशियाई सरकार के अनुमति के खनन कार्य शुरू नहीं हो सकता है। जब पानी कम हुआ था तब श्रीविजया शहर साल 2011 में मूसी नदी से बाहर निकला था। निर्माण कंपनियां जब रेत निकालती हैं तब रेत के साथ कीमती वस्तुएं भी बाहर आ जाती हैं।
कीमती वस्तुओं का संरक्षण आवश्यक
यहां पर पोर्सीलीन से बनी कलाकृतियां. यहां से तांबे के बुद्ध, कांच की मोतियां, पुराने मुहर, वजन नापने के बटखरे भी मिलें हैं। गोताखोर छुपकर नदी से कीमती वस्तुएं निकालने की कोशिश में रहते हैं। इन्हें चोरी कर बेच देते हैं। शिक्षाविद् का मानना है कि नदी से मिली वस्तुएं प्राचीन सभ्यता के अवशेष हैं, इनकी कीमत समझना और इन्हें संरक्षित करना आवश्यक है।