देश में बदल रहे दितीय परिस्थितियों के बीच भारत में फिर से फिक्स डिपॉजिट करने के बदले बेहतर ब्याज दर वाले दिन फिर से आने वाले हैं. दोबारा से ब्याज दर फिक्स डिपॉजिट पर 8.5% तक पहुंचने के समीकरण बन गए हैं.
बैंक लोन की डिमांड 9 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। लेकिन डिपॉजिट इस रफ्तार से नहीं बढ़ रहे हैं। इसके चलते बैंकों के पास फंड की कमी पड़ती जा रही है। ऐसे में डिपॉजिट की ब्याज दरें बढ़ना तय माना जा रहा है। एक साल के भीतर डिपॉजिट दरें 1.75-2.25% बढ़ाई जा सकती हैं। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल से शुरू चालू वित्त वर्ष 26 अगस्त तक बैंकों ने 5.66 लाख करोड़ रुपए के कर्ज बांटे हैं। यह बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में बांटे गए लोन से 4.8% ज्यादा है। बीते साल अगस्त से इस मामले में 0.5% गिरावट आई थी। यही नहीं, यह कैलेंडर वर्ष 2021 में 26 अगस्त तक बांटे गए लोन से 15.5% ज्यादा है। यह 1 नवंबर, 2013 के बाद लोन वितरण का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
रेपो रेट और बैंक डिपाजिट की ब्याज दरों में कम होने लगा अंतर
चालू वित्त वर्ष में अगस्त की शुरुआत तक डिपॉजिट रेट्स सिर्फ 0.30-0.60% बढ़े, जबकि इस दौरान रेपो रेट 1.40% बढ़कर 5.4% के स्तर पर पहुंच गया।
हाल के हफ्तों में यस बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक और यूनियन बैंक ने एफडी रेट्स में 0.30-0.50% बढ़ोतरी की है.
देश में रेपो रेट और डिपॉजिट रेट्स के बीच का अंतर धीरे धीरे कम हो रहा है, यह जुलाई में 0.80 1.0% था अभी घटकर 0.6 0.8% रह गया है।
किन बैंकों के लिए बढ़ेगा ब्याज दर
यह बड़ा हुआ ब्याज दर भारत के लगभग सभी बैंकों के लिए होगा क्योंकि सभी बैंक लोन के जरिए हैं अपना व्यापार करते हैं. आपका अकाउंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंक में हो या एचडीएफसी जैसे प्राइवेट बैंक में हो बड़े हुए फिक्स डिपाजिट कल आपको सारे बैंक में मिलेगा.