भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में कुल 1.25 प्रतिशत की कटौती किए जाने के बावजूद आम निवेशकों और बचतकर्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। डाकघर और बैंकों की छोटी बचत योजनाओं पर मिल रहे ब्याज दरों में फिलहाल किसी बड़ी कटौती की आशंका न के बराबर है। सरकार 31 दिसंबर तक जनवरी-मार्च तिमाही के लिए नई दरों की घोषणा करेगी, और मौजूदा आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरें या तो स्थिर रहेंगी या उनमें बहुत ही मामूली बदलाव देखने को मिल सकता है।
रेपो रेट में सवा फीसदी की बड़ी कटौती के बावजूद निवेशकों की कमाई और जमा पूंजी पर नहीं पड़ेगा ज्यादा असर
भारतीय रिज़र्व बैंक ने पिछले एक साल के दौरान अर्थव्यवस्था को गति देने और कर्ज सस्ता करने के उद्देश्य से रेपो रेट में 1.25 प्रतिशत अंकों की कटौती करते हुए इसे 5.25% के स्तर पर ला दिया है। आम तौर पर जब रेपो रेट घटता है, तो जमा योजनाओं पर ब्याज दरें भी गिरती हैं। हालांकि, आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें बहुत तेजी से घटा दी गईं, तो मध्यम वर्ग के पास उपलब्ध सुरक्षित निवेश का यह विकल्प कमजोर पड़ जाएगा। साथ ही, इन योजनाओं का बैंक डिपॉजिट से मुकाबला भी प्रभावित होगा। यही वजह है कि सरकार बाजार के झटकों से आम निवेशक को बचाने के लिए दरों को बहुत धीरे-धीरे समायोजित करती है।
सुकन्या समृद्धि और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम जैसी प्रमुख योजनाओं में अभी मिल रहा है इतना रिटर्न
क्लिप में दी गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में निवेशकों के लिए 12 प्रमुख छोटी बचत योजनाओं की दरें काफी आकर्षक बनी हुई हैं। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) और बेटियों के लिए लोकप्रिय सुकन्या समृद्धि योजना पर लगभग 8.2% का ब्याज मिल रहा है। वहीं, डाकघर मासिक आय योजना (MIS) और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) पर करीब 7.7% रिटर्न मिल रहा है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पर 7.1% और किसान विकास पत्र (KVP) पर 7.7% की दर लागू है। इसके अलावा, एक से पांच साल की टर्म डिपॉजिट या फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी निवेशकों को 6.9% से 7.5% के बीच ब्याज का लाभ मिल रहा है।
घरेलू बचत फंड के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर और बजट घाटे को मैनेज करने में सरकार को मिलती है बड़ी मदद
केंद्र सरकार के लिए ये छोटी बचत योजनाएं केवल निवेश का माध्यम नहीं, बल्कि फंड जुटाने का एक अहम स्रोत हैं। सरकार इन योजनाओं के जरिए सालाना लाखों करोड़ रुपये का घरेलू बचत फंड इकट्ठा करती है, जिसका उपयोग बजट घाटे को नियंत्रित करने और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने के लिए किया जाता है। वित्त मंत्रालय यह बखूबी समझता है कि अगर ब्याज दरों में भारी कटौती की गई, तो इन स्कीमों में निवेश का प्रवाह कम हो सकता है। इसलिए, सरकार हमेशा ब्याज-दर कटौती और निवेशकों के भरोसे के बीच एक व्यावहारिक संतुलन बनाकर चलने का प्रयास करती है।
जनवरी से मार्च तिमाही के लिए सुरक्षित निवेश और फिक्स्ड रिटर्न चाहने वालों के लिए मौजूदा समय बेहतर
बाजार के मौजूदा संकेत यही इशारा कर रहे हैं कि जनवरी-मार्च तिमाही में पीपीएफ, एनएससी, सुकन्या और केवीपी जैसी योजनाओं की दरें या तो यथावत रहेंगी या उनमें अधिकतम 0.1 से 0.2% तक की ही मामूली गिरावट आ सकती है। बड़ी कटौती की संभावना फिलहाल बहुत कमजोर है। ऐसे में, जो छोटे निवेशक सुरक्षित और फिक्स रिटर्न चाहते हैं, वे बेझिझक मौजूदा दरों पर इन योजनाओं में अपना निवेश जारी रख सकते हैं। भविष्य में दरों में बदलाव पूरी तरह से आर्थिक स्थिति और बॉन्ड-यील्ड के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करेगा।





