दिल्ली के प्रशासनिक और राजस्व ढांचे में एक ऐतिहासिक बदलाव को मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रीय राजधानी में अब 11 की जगह 13 राजस्व जिले (Revenue Districts) होंगे। उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगाते हुए आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी है। इस नए ढांचे का मकसद आम जनता को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से बचाना और प्रशासनिक कार्यों में तेजी लाना है। सिर्फ जिले ही नहीं, बल्कि सब-डिवीजन (SDM ऑफिस) की संख्या भी अब 33 से बढ़ाकर 39 कर दी गई है, ताकि अधिकारियों पर काम का बोझ कम हो और लोगों को सुविधाएं समय पर मिल सकें।
11 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में मिली थी मंजूरी, अब 2025 के अंत तक पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगी नई व्यवस्था
इस बड़े बदलाव की नींव 11 दिसंबर को हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में रखी गई थी, जहां मौजूदा 11 जिलों का पुनर्गठन कर 13 जिले बनाने का फैसला लिया गया था। उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद अब राजस्व विभाग ने इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रशासन ने लक्ष्य तय किया है कि ये नए जिले और सब-डिवीजन दिसंबर 2025 के अंत तक पूरी तरह से काम करना शुरू कर दें। हालांकि, जमीनी स्तर पर इसका असर 1 जनवरी से ही दिखना शुरू हो सकता है, जिससे नए साल में दिल्लीवासियों को बेहतर प्रशासन का तोहफा मिलेगा।
शाहदरा जिला खत्म कर बनाए गए 3 नए जिले, पुरानी दिल्ली और आउटर नॉर्थ जैसे इलाकों को मिली अलग पहचान
नई व्यवस्था के तहत दिल्ली के नक्शे पर कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। अब शाहदरा जिले को खत्म कर दिया गया है और इसके इलाकों को मुख्य रूप से नॉर्थ-ईस्ट और ईस्ट जिलों में बांट दिया गया है। वहीं, ‘पुरानी दिल्ली’ (Old Delhi) के नाम से एक नया जिला बनाया गया है, जिसमें सदर बाजार और चांदनी चौक जैसे ऐतिहासिक इलाके शामिल होंगे। इसके अलावा ‘सेंट्रल नॉर्थ’ और ‘आउटर नॉर्थ’ के रूप में नए जिले बनाए गए हैं, ताकि बाहरी और ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों को गति दी जा सके। कुछ इलाकों की सीमाएं भी बदली गई हैं, जैसे पटेल नगर को अब वेस्ट जिले से हटाकर सेंट्रल जिले में शामिल किया गया है, ताकि किसी तरह का भ्रम न रहे।
हर जिले में बनेंगे ‘मिनी सचिवालय’, जहां एक ही छत के नीचे मिलेंगी बिजली-पानी और रजिस्ट्री जैसी तमाम सुविधाएं
सरकार की योजना हर जिले में एक “मिनी सचिवालय” (Mini Secretariat) बनाने की है। यह एक ऐसा कॉम्प्लेक्स होगा जहां आम आदमी को राजस्व, जाति-आय प्रमाण पत्र, प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जल बोर्ड और बिजली विभाग से जुड़े काम एक ही जगह कराने की सुविधा मिलेगी। अभी तक अलग-अलग कामों के लिए लोगों को शहर के अलग-अलग कोनों में भागना पड़ता था। हालांकि, कानून-व्यवस्था यानी पुलिस का कामकाज अपने अलग चैनल के माध्यम से ही चलता रहेगा।
एमसीडी जोन और रेवेन्यू डिस्ट्रिक्ट की सीमाएं अब होंगी एक समान, प्रॉपर्टी टैक्स और नक्शा पास कराने में लोगों को नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर
इस पुनर्गठन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब राजस्व जिलों की सीमाएं एमसीडी (MCD) के 12 जोन, एनडीएमसी (NDMC) और कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमाओं के साथ बिल्कुल एक समान (Co-terminus) रखी जाएंगी। पहले राजस्व विभाग और एमसीडी की सीमाएं अलग-अलग होने के कारण प्रॉपर्टी टैक्स, नक्शा पास कराने या सीवर-सड़क जैसी समस्याओं के लिए लोगों को यह समझने में ही समय लग जाता था कि उन्हें किस दफ्तर जाना है। अब नए और ज्यादा एसडीएम ऑफिस खुलने से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, म्यूटेशन और लैंड रिकॉर्ड अपडेट जैसे काम नजदीकी दफ्तर में ही तेजी से हो सकेंगे।





