दिल्ली में एक हफ्ते पहले भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. वहीं अब फिर भूकंप आने के बाद लोगों के अगले खतरे का अंदेशा होने लगा है. हालांकि यह डर इसलिए भी जायज है कि नेपाल, अफगानिस्तान, पाकिस्तान या आसपास के इलाकों में जब भी भूकंप आया है, उसका असर दिल्ली में भी दिखा है. फिलहाल अभी तक के झटके खतरनाक नहीं थे लेकिन मीडिया के मुताबिक सरकार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली पर बड़े भूकंप का खतरा मंडरा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली में कभी भी 7 से 7.9 तीव्रता का जोरदार भूकंप आ सकता है. वहीं इस तीव्रता का भूकंप राजधानी में भारी तबाही मचा सकता है. बता दें कि साल 2015 में नेपाल में जिस भूकंप ने तबाही मचाई थी, उसकी तीव्रता 7.8 मापी गई थी. अब सवाल ये कि इस खतरे से निपटने के लिए दिल्ली तैयार है या नहीं.
झटके को झेल नहीं पाएंगी इमारतें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस सवाल का जवाब यह है कि भू-विज्ञान मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली में अगर छह रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो यहां बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि होगी. दिल्ली की आधे से अधिक इमारतें इस झटके को झेल नहीं पाएंगी. वहीं घनी आबादी की वजह से बड़ी संख्या में जनहानि हो सकती है. बड़ी बात यह कि इसके बावजूद भी दिल्ली में ना तो उससे बचने के उपाय किए गए और ना ही इमारतों के निर्माण में सावधानी बरती.
नेपाल में एक हफ्ते में तीन भूकंप
नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और शोध केंद्र के मुताबिक, शनिवार को भूकंप 29.28 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 81.20 डिग्री पूर्वी देशांतर में बझांग जिले के पतादेबल में 10 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था. यह नेपाल में एक सप्ताह में तीसरा भूकंप है, लेकिन इससे किसी तरह के जानमाल के नुकसान की अभी कोई सूचना नहीं है. काठमांडू से 460 किलोमीटर पश्चिम में स्थित बझांग जिले में शाम सात बजकर 57 मिनट पर आया, जिसके कारण लोग डरकर अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए.
यूपी के कई जिलों में भी झटके
भूकंप के झटके हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुजफ्फरनगर और शामली समेत अन्य जिलों में महसूस किए गए. नोएडा में भूकंप के झटके करीब 10 सेकंड तक महसूस हुए. उन्होंने कहा कि ये झटके बुधवार को आए भूकंप के झटके जितने तगड़े नहीं थे, लेकिन इसने उन लोगों को डरा दिया.
आठ से 12 नवंबर के बीच कम से कम आठ भूकंप
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड-नेपाल सीमा से सटे हिमालयी क्षेत्र में आठ से 12 नवंबर के बीच अलग-अलग तीव्रता के कम से कम आठ भूकंप आए हैं. पिथौरागढ़ आपदा प्रबंधन अधिकारी बीएस महार ने कहा कि भूकंप का अधिकेंद्र नेपाल के सिलांग कस्बे से तीन किलोमीटर दूर था, लेकिन इसके झटके भारत, चीन और नेपाल में महसूस किए गए.
- सिस्मिक हजार्ड माइक्रोजोनेशन ऑफ दिल्ली नाम से जारी एक रिपोर्ट में राजधानी को तीन जोन में बांटा गया है. इसमें ज्यादा खतरे में यमुना नदी के किनारे के ज्यादातर इलाके, उत्तरी दिल्ली का कुछ हिस्सा और दक्षिण पश्चिम दिल्ली का थोड़ा सा हिस्सा शामिल है.
- आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा खतरे वाले जोन में दिल्ली यूनिवर्सिटी का नार्थ कैंपस, सरिता विहार, गीता कॉलोनी, शकरपुर, पश्चिम विहार, वजीराबाद, रिठाला, रोहिणी, जहांगीरपुरी, बवाना, करोलबाग, जनकपुरी हैं.
- दूसरे सबसे बड़े खतरे वाले जोन में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बुराड़ी और नजफगढ़ शामिल हैं.
- दिल्ली का लुटियंस जोन भी हाई रिस्क वाला इलाका है, हालांकि यहां खतरा उतना नहीं है. इसमें संसद, तमाम मंत्रालय और वीआईपीज के आवास हैं.
- वहीं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, एम्स, छतरपुर, नारायणा सबसे सुरक्षित जोन में हैं. हौज खास कम खतरे वाले जोन में है.
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