वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त विभाग को निर्देश दिया कि अगले वित्तीय वर्ष से सभी सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं की फंडिंग एक ही नोडल एजेंसी के माध्यम से की जाए। उन्होंने विभाग को नियंत्रक महालेखाकार (CGA) के साथ मिलकर इस बदलाव को सुचारू रूप से लागू करने के लिए कहा।
इसके अलावा, वित्त मंत्री ने CGA को सलाह दी कि वे सरकार के वार्षिक खातों को और अधिक सरल और उपयोगी बनाने पर विचार करें। उन्होंने केंद्र सरकार के लेखा सलाहकार को राज्यों के साथ समन्वय बनाने और सिंगल नोडल एजेंसी (SNA) प्रणाली को तेजी से अपनाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने को कहा।

SNA-SPARSH से सरकारी फंडिंग होगी पारदर्शी
वर्तमान में, अधिकतर बड़ी योजनाओं की फंडिंग पहले से ही SNA प्रणाली के तहत की जा रही है। वित्त मंत्री ने बताया कि 2021-22 से अब तक इस प्रणाली के जरिए सरकार को 11,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
उन्होंने CGA और वित्त विभाग को निर्देश दिया कि वे सभी संबंधित योजनाओं के लिए SNA-SPARSH को सुचारू रूप से लागू करें। साथ ही, राज्यों को इस प्रणाली में शामिल होने और इसके फायदों को समझाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने को कहा।
SNA-SPARSH प्रणाली का मुख्य उद्देश्य सरकारी योजनाओं के तहत दी जाने वाली धनराशि के वितरण को पारदर्शी और सुगम बनाना है। इस प्रणाली के तहत, 1.5 मिलियन से अधिक बैंक खातों में पड़े अप्रयुक्त फंड को घटाकर सिर्फ 4,500 बैंक खातों तक सीमित कर दिया गया है। इससे सरकारी फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ी है और फंड का दुरुपयोग रोका गया है।
PFMS के जरिए सीधे लाभार्थियों तक पहुंच रही मदद
वित्त मंत्री ने पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली किसानों को सीधे वित्तीय सहायता पहुंचाने में मदद कर रही है, जैसे कि तेलंगाना की “रैतु बंधु योजना”। इसके अलावा, केरल में आई बाढ़ जैसी आपदाओं के दौरान राहत राशि के त्वरित और पारदर्शी वितरण में भी PFMS की अहम भूमिका रही।
महाराष्ट्र में छात्रवृत्ति और कई राज्यों में पेंशन योजनाओं के भुगतान में भी यह प्रणाली कारगर साबित हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को इस प्रणाली से जोड़ने से डेटा की गुणवत्ता और भी बेहतर होगी, जिससे सरकारी नीतियों को और प्रभावी बनाया जा सकेगा।
भारत के डिजिटल भुगतान सिस्टम की बढ़ती लोकप्रियता
सीतारमण ने कहा कि भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। कई देश भारत के डिजिटल पेमेंट इंटरफेस (DPI) में रुचि दिखा रहे हैं और इसे अपने सिस्टम में अपनाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
उन्होंने CGA को यह निर्देश दिया कि वे C&AG (Comptroller and Auditor General) के साथ मिलकर सरकारी वार्षिक खातों को और सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने की संभावनाएं तलाशें। इससे नागरिकों के लिए सरकारी वित्तीय रिपोर्ट को समझना और उसका विश्लेषण करना आसान हो जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि PFMS की उपलब्धियां भारत के डिजिटल भुगतान सिस्टम (DPI) से कम नहीं हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अन्य देशों के साथ संवाद करें और उन्हें भारत की पारदर्शी सार्वजनिक वित्त प्रणाली के बारे में बताएं, जिसे IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने भी मान्यता दी है।





