केंद्र सरकार ने 20 साल से अधिक पुराने सभी वाहनों का फिटनेस टेस्ट शुल्क बढ़ा दिया है। भारी ट्रक और बसों का शुल्क ₹3,500 से बढ़ाकर अब ₹25,000 कर दिया गया है। बाकी व्यावसायिक और निजी वाहनों के शुल्क में भी तीव्र बढ़ोतरी की गई है।
मुख्य बातें (Key Highlights)
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20+ साल पुराने वाहनों पर लागू नया फिटनेस शुल्क
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भारी ट्रक/बस: ₹3,500 → ₹25,000
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मीडियम कमर्शियल वाहन: ₹20,000
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लाइट मोटर वाहन (LMV): ₹15,000
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निजी गाड़ियों का शुल्क भी ₹600 → ₹2,000
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आदेश परिवहन मंत्रालय ने जारी किया
📰 पूरी खबर — आसान भाषा में
केंद्र सरकार ने पुराने वाहनों पर सख्ती बढ़ाते हुए उनके फिटनेस टेस्ट शुल्क में बड़ा इज़ाफा किया है। यह फैसला देशभर में प्रदूषण नियंत्रण और सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के तहत लिया गया है।
सरकार के अनुसार, 20 वर्ष से अधिक पुराने भारी ट्रक और बसों का फिटनेस शुल्क अब पहले के ₹3,500 की जगह ₹25,000 कर दिया गया है। यह 7 गुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी है।
मध्य श्रेणी के वाणिज्यिक वाहनों के लिए शुल्क अब ₹20,000, जबकि हल्के मोटर वाहनों (जैसे छोटे कमर्शियल वाहन, पिकअप आदि) के लिए ₹15,000 कर दिया गया है।
निजी वाहनों के लिए भी फिटनेस शुल्क बढ़ाया गया है — पहले यह ₹600 था, अब इसे बढ़ाकर ₹2,000 कर दिया गया है।
सरकार का कहना है कि पुरानी गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं के जोखिम को देखते हुए यह कदम बेहद ज़रूरी था।

FAQ — आम सवाल
Q. क्या यह नियम सभी राज्यों पर लागू है?
हाँ, यह केंद्र सरकार का आदेश है, इसलिए यह पूरे देश में लागू होगा।
Q. क्या हर 20 साल पुरानी निजी गाड़ी का फिटनेस टेस्ट ज़रूरी है?
हाँ, नियम के अनुसार 15 साल के बाद हर निजी वाहन को फिटनेस करवाना जरूरी है। 20 साल से ज्यादा पर शुल्क बढ़ जाता है।
Q. शुल्क बढ़ाने का कारण क्या है?
पुरानी गाड़ियों से ज़्यादा प्रदूषण, अधिक मेंटेनेंस, और दुर्घटना का जोखिम बढ़ता है। सरकार चाहती है कि लोग नए और सुरक्षित वाहन इस्तेमाल करें।




