श्रीनगर की डल झील की सुबहें शिकारे (पारंपरिक कश्मीरी लकड़ी की नाव) के हल्के पैडल और कमल के पत्तों की सरसराहट के बीच शुरू होती हैं। इन सबके बीच देवदार की कतारबद्ध हाउसबोट्स के बीच एक नाव सबसे अलग दिखती है, जिस पर चमकता लाल-पीला इंडिया पोस्ट का लोगो बना है। बुलेवार्ड रोड तट पर स्थायी रूप से लंगर डाले यह लकड़ी की हाउसबोट दुनिया के इकलौते फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस परंपरा और सेवा का अनोखा संगम, जो आज भी स्थानीय लोगों और सैलानियों की कल्पना को आकर्षित करता है।
दो कमरों वाली हाउसबोट में पोस्ट ऑफिस
यह संरचना साधारण है दो कमरों वाली हाउसबोट, जिसे मोटी रस्सियों से मजबूती से बांधा गया है और एक छोटे से लकड़ी के पुल से पहुंचा जा सकता है। अंदर का केंद्रीय कार्यालय रोज़ाना का काम संभालता है: कबूतरखाने जैसे शेल्फ़ों में सजी चिट्ठियों की ढेरियां, रबर स्टैम्प के पास रखा पीतल का तराज़ू, और वार्निश की हल्की महक में घुली लिफ़ाफ़ों की खुशबू। पास का कमरा एक छोटे संग्रहालय की तरह है, जहां पुराने नक्शे, विंटेज डाक टिकट और कश्मीर की डाक सेवाओं की लंबी यात्रा को दर्शाती तस्वीरें प्रदर्शित हैं।
चिट्ठी भेजने, पार्सल संभालने और डाक टिकट बेचने की सुविधायें उपलब्ध
2011 में उद्घाटित यह फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस किसी अन्य डाकघर की तरह ही काम करता है चिट्ठी भेजने, पार्सल संभालने और डाक टिकट बेचने जैसी सामान्य सेवायें यहां उपलब्ध हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका स्थान है—सीधे डल झील पर—जो हर लेन-देन को एक अनोखा अनुभव बनाता है। पर्यटक यहां आकर अक्सर ऐसे पोस्टकार्ड भेजते हैं, जिन पर शिकारे की तस्वीर वाली विशेष मुहर लगाई जाती है, जिससे साधारण संदेश भी एक यादगार तोहफ़ा बन जाता है।
झील की लहरों के साथ डोलती पोस्ट ऑफिस
स्थानीय निवासियों के लिए यह पोस्ट ऑफिस सिर्फ आकर्षण का केंद्र नहीं है। यह दृढ़ता, निरंतरता और परंपरा व आधुनिक ज़रूरतों के मेल का प्रतीक है। यात्रियों के लिए यह एक दुर्लभ अनुभव है: जब वे पत्र लिखते हैं या टिकट खरीदते हैं और नाव झील की लहरों के साथ धीरे-धीरे डोलती रहती है।
कार्यक्षमता से कहीं अधिक, यह फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस अब एक सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है। यह रचनात्मकता और धैर्य का प्रतीक है, जो कश्मीर की विरासत का जश्न मनाते हुए आगंतुकों को एक गहरा और अनोखा अनुभव प्रदान करता है।




