जब कोई पॉलिसीधारक नई पॉलिसी खरीदने के बाद किसी भी वजह से अपना मन बदलता है तो वो इस पॉलिसी से बाहर निकल सकता है। इसे ही फ्री-लुक अवधि कहा जाता है। इस दौरान पॉलिसीधारक पॉलिसी को सरेंडर कर सकता है और उसे प्रीमियम वापस मिल जाता है।
इरडा का प्रस्ताव:
बीमा नियामक इरडा ने बीमा पॉलिसी में बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत पॉलिसीधारक के लिए फ्री-लुक अवधि को दोगुना किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि अब एक पॉलिसी लेने वाले के पास अपनी पॉलिसी लौटाने के लिए पहले जो 15 दिन का समय होता था उसे अब बढ़कर 30 दिनों का करने का प्रस्ताव रखा गया है।
मौजूदा प्रस्ताव पर फीडबैक:
मौजूदा प्रस्ताव पर आम लोगों से लेकर बीमा कंपनियों समेत सभी हितधारकों को 4 मार्च तक अपना फीडबैक देना होगा।
इरडा के अन्य प्रस्ताव:
- जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को किसी को भी नई पॉलिसी जारी करते वक्त नॉमिनेशन की डिटेल्स जरूर लेना चाहिए।
- पॉलिसीधारक के बैंक खाते के विवरण भी जुटाने की बात कही है ताकि दावों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लौटाया जा सके।
ग्राहक हित की सुरक्षा:
दस्तावेजों को अच्छे से पढ़ने के बाद अगर कोई चीज उन्हें समझ नहीं आती है तो वे अपनी संबंधित बीमा कंपनी से संपर्क कर अपने संदेह दूर कर सकते हैं। 04 मार्च तक इस प्रस्ताव पर फीडबैक मांगे गए हैं।