भारत में सोने और चांदी की दीवानगी सब लोगों के स्तर पर हैं. हर कोई सोना और चांदी खरीद कर अपने पास रखना चाहता है लेकिन बढ़ती कीमतों ने लोगों को शौक पूरे करने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने के लिए मजबूर कर दिया है. अगर आप इन्वेस्टमेंट या अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल करने के लिए सोने या चांदी खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो बाजार में आने वाले गिरावट को लेकर यह जानकारी हुए अपने साथ जरूर रखिए.
सोमवार को $4,381 प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद, अगले ही दिन सोने की क़ीमत गिरकर $4,120 पर आ गई — यानी 5% की बड़ी गिरावट। यह 2020 के बाद एक दिन में सबसे तेज़ गिरावट दर्ज की गई है।
हालांकि, गिरावट के बावजूद, सोना इस साल अब तक 60% ऊपर है, यानी दीर्घकालिक ट्रेंड अब भी मज़बूत दिख रहा है।
📉 क्या बदला अचानक?
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि भावनात्मक बदलाव (sentiment shift) के कारण सेलिंग शुरू हुई। कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते ही शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स ने मुनाफावसूली (profit booking) शुरू कर दी।
मार्केट विशेषज्ञ ताई वोंग (Tai Wong) का कहना है कि बढ़ती अनिश्चितता के कारण निवेशक कमाई सुरक्षित करना चाह रहे थे।
सोने के साथ-साथ चांदी भी 6% से अधिक टूटकर $50 प्रति औंस के नीचे चली गई।

🇺🇸 अब नज़रें अमेरिका पर
बाज़ार की नज़र अब अमेरिका के नए महंगाई (inflation) आंकड़ों पर है, जिनकी घोषणा सरकारी शटडाउन की वजह से शुक्रवार तक टल गई है।
निवेशक यह जानने की कोशिश में हैं कि ब्याज दरों का अगला कदम क्या होगा।
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कम ब्याज दरें = सोने की मांग बढ़ने की संभावना
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ज़्यादा ब्याज दरें = सोने में निवेश कम आकर्षक
इसलिए अगले कुछ दिनों में आने वाला डेटा क़ीमतों की दिशा तय कर सकता है।
📌 क्या रैली यहीं रुकेगी?
एनालिस्ट डेविड मॉरिसन का मानना है कि लंबे समय से जारी तेज़ी (bull run) अब धीमी पड़ती दिख रही है। आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि यह सिर्फ एक ब्रेक है या गिरावट की गहरी शुरुआत।
🛑 निवेशकों के लिए संकेत
एक बात साफ़ है — सोने की चमक अभी भी बरकरार है, लेकिन जोखिम फिर से बढ़ गया है। अब हर कदम सोच-समझकर उठाने का समय है।




