कुवैत उन कंपनियों पर ज्यादा शुल्क लगाने की योजना बना रहा है जो प्रवासियों को ऐसी नौकरियों के लिए रखती हैं, जिन्हें स्थानीय नागरिक भी कर सकते हैं। यह कदम “कुवैताइजेशन” को तेज़ करने और विदेशी मज़दूरों पर निर्भरता कम करने की पहल का हिस्सा है।
सार्वजनिक प्राधिकरण फॉर मैनपावर द्वारा घोषित इन उपायों का मकसद निजी कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा कुवैतियों को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह पहल देश की विजन 2035 रणनीति से जुड़ी है, जिसमें अर्थव्यवस्था को विविध बनाने, सरकारी नौकरियों पर बोझ घटाने और युवाओं के लिए नए अवसर खोलने का लक्ष्य रखा गया है।
मैनपावर अथॉरिटी के जनसंपर्क और मीडिया निदेशक मोहम्मद अल मुझैनी ने कहा, “कुवैताइजेशन राष्ट्रीय विज़न 2035 का मुख्य हिस्सा है।” उनके मुताबिक, इस योजना में नए कानून, विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम और वित्तीय प्रोत्साहन शामिल हैं, जैसे कि उन नौकरियों में प्रवासियों की भर्ती पर शुल्क बढ़ाना जिन्हें कुवैती नागरिक आसानी से कर सकते हैं।
हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि कुवैतियों को निजी क्षेत्र में लाना आसान नहीं है, क्योंकि वहां काम के घंटे लंबे होते हैं जबकि सरकारी नौकरियां बेहतर सुरक्षा, मातृत्व अवकाश और अन्य लाभ प्रदान करती हैं। अल मुझैनी ने कहा कि सुधारों का फोकस वेतन अंतर को कम करने, श्रम सहायता नीतियों को संशोधित करने और शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर छात्रों को बेहतर तैयार करने पर होगा। इसके लिए जागरूकता अभियान, पाठ्यक्रम बदलाव और अनिवार्य इंटर्नशिप जैसी पहलें की जायेंगी। इसके अलावा, कर्मचारी अधिकारों की रक्षा के लिए एक लेबर रिलेशंस डिपार्टमेंट बनाया गया है और निजी कंपनियों को कुवैतियों के लिए नौकरियां बनाने पर अतिरिक्त प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
कुवैत डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन अथॉरिटी के बोर्ड सदस्य मुहननद मोहम्मद अल साने ने कहा कि बैंकिंग, वित्त, रियल एस्टेट और सेवाओं में निजी क्षेत्र ने हमेशा से विकास को आगे बढ़ाया है। उनके अनुसार, कुवैती युवा इन क्षेत्रों में नवाचार का नेतृत्व करने की स्थिति में हैं और देश एक संतुलित अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ सकता है।




