सरकार ने उन करदाताओं के लिए अच्छी खबर का ऐलान किया है, जिनका एक निश्चित सीमा तक का बकाया प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) बकाया था। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 13 फरवरी, 2024 के एक आदेश के माध्यम से कहा कि कर विभाग ने 31 जनवरी, 2024 तक बकाया पात्र पुराने कर मांगों (Old Tax Demands) को माफ करना और खत्म करना शुरू कर दिया है।
क्या कहते हैं CBDT के नियम?
1 लाख रुपये की सीमा: CBDT के आदेश के अनुसार, किसी भी विशिष्ट करदाता के लिए निम्न प्रकार के डिमांड की प्रविष्टियों के लिए टैक्स डिमांड की छूट और विलोपन अधिकतम 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये) की सीमा के अधीन होगा:
- आयकर अधिनियम (Income Tax Act), 1961 या धन कर अधिनियम (Wealth Tax Act), 1957 या उपहार कर अधिनियम (Gift Tax Act), 1958 के तहत कर मांग का मुख्य घटक।
- आयकर अधिनियम, 1961 के विभिन्न प्रावधानों के तहत ब्याज (Interest), जुर्माना (Penalty), शुल्क (Fee) इत्यादि।
कैसे होगा 1 लाख की सीमा का निर्धारण?
- प्रत्येक डिमांड का होगा आकलन: छूट की अधिकतम सीमा का निर्धारण करते समय, प्रत्येक डिमांड की अलग से समीक्षा होगी, सबसे पुराने मूल्यांकन वर्ष से बाद के मूल्यांकन वर्षों तक। किसी भी विशिष्ट करदाता के लिए ऐसी मांग प्रविष्टियों का कुल मूल्य 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
आयकर पोर्टल पर देखें स्टेटस: CBDT ने अपने एक बयान में कहा, “पात्र बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों में छूट एवं रद्द कर दी गई है। कृपया अपने खाते में लॉग इन करें और अपने मामले में ‘रद्द की गई मांगों’ की स्थिति की जांच करने के लिए ‘लंबित कार्रवाई (Pending Action)’ > ‘बकाया मांग का जवाब (Response to Outstanding Demand)’ का विकल्प चेक करें।
अलग-अलग समय सीमा के हिसाब से नियम
पुरानी टैक्स मांगों के संबंध में, अतीत में विभिन्न कट-ऑफ तारीखों के हिसाब से छूट और विलोपन के लिए अलग-अलग सीमाएं हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंट आस्था गुप्ता (एसके गुलाटी एंड एसोसिएट्स) बताती हैं, “31 जनवरी, 2024 तक के सभी छोटे आयकर बकाया, वित्त वर्ष 2009-10 तक 25,000 रुपये तक और वित्त वर्ष 2010-11 से वित्त वर्ष 2014-15 तक 10,000 रुपये तक की मांग को समाप्त कर दिया गया है। इसकी स्थिति आयकर पोर्टल पर ‘बकाया मांग की प्रतिक्रिया’ टैब के तहत स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।”
यह है एक बड़ी राहत
अगर आपका भी ऐसा कोई पुराना बकाया चल रहा है तो इससे जुड़ा चिंता और 220 (2) धारा के तहत लगने वाला ब्याज (1% प्रति माह जो कुछ समय अवधि में मूल कर राशि से अधिक हो सकता है) भी आपको नहीं देना होगा।