पिछले कुछ वर्षों से आम आदमी के ऊपर, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से करारोपण किया जा रहा है। सरकारों ने आम जनता को कामधेनु की गाय मान लिया है। जो सरकारों की हर इच्छा को पूरी करने में सक्षम है। इस करारोपण के दायरे में अब गरीब से गरीब व्यक्ति भी आ रहा है। भारत की अर्थतंत्र में करीब 32 फीसदी टैक्स अभी तक मध्यमवर्ग देता आया है।
28% GST स्लैब में जी रहा अब INDIA.
हाल ही के वर्षों में मध्यम वर्ग पर केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों और स्थानीय संस्थाओं द्वारा लगातार टेक्स, शुल्क एवं उपकर के नाम पर टेक्स का दायरा बढ़ाया जा रहा है । GST के माध्यम से अब गरीबों को भी भारी टैक्स के दायरे में ले लिया गया है। जीएसटी की बढ़ी हुई दरें 8, 12, 18 और 28 फीसदी अब गरीब आदमी को भी परेशान कर रही हैं। मजदूर हो, बेरोजगार हो, पेंशन से गुजारा करता हो । सभी को खाने-पीने एवं नियमित जरुरतों पर भारी टेक्स देना पड़ रहा है।
वर्तमान में गरीब सबसे ज्यादा टेक्स दे रहा है.
चाहे रेलवे की टिकट हो चाहे पेट्रोल डीजल का उपकर हो, खाने पीने का केंद्र एवं राज्य सरकारों ने यह मान लिया है, कि जनता के पास बहुत पैसा है। कोई भी टैक्स लगाते हैं, जनता उसको देने लगती है। जब तक जनता विरोध नहीं कर रही है। कोई भी सामान हो, किसी भी प्रकार की सेवाएं हो, सभी पर जीएसटी लागू है। इसकी मार सबसे ज्यादा गरीब और मध्यम वर्ग पर पड़ रही है। अब टैक्स की मार गांव-गांव तक पहुंच रही है।
गाँव के ज़मीन पर टैक्स.
गांव में प्रॉपर्टी टैक्स, जल कर, प्रकाश कर इत्यादि लगना शुरू हो गए हैं पिछले 8 वर्षों में जितने टैक्स बढ़े हैं। वह पिछले 50 सालों में नहीं लगे । सरकार ने सब्सिटी लागू कर दी। टेक्स बड़ा दिये । जिससे मंहगाई बड़ी। आय कम हो गई है। खर्च बड़ गये हैं।
सरकार ने जानता को बनाया दुधारू गाय.
केंद्र एवं राज्य सरकारों ने यह मान लिया है, कि जनता के पास बहुत पैसा है। कोई भी टैक्स लगाते हैं, जनता उसको देने लगती है। जब तक जा विरोध नहीं कर रही है, तब तक जनता की क्षमता टैक्स चुकाने की है। इसी को आधार बनाकर पिछले 8 वर्षों से लगातार टैक्स बढ़ाया जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारें अपना बोझ आम जनता के ऊपर धीरे-धीरे करके डाल रही हैं।
आपसे वसूली और प्राइवेट को डिलीवरी.
सरकारों के अपने खर्चे बहुत बढ़ रहे हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकार जो खर्च कर रही है। उसका पैसा आम जनता से पैसा वसूल किया जा रहा है। सरकारी पैसा खर्च करके उसे निजी क्षेत्र को सौंपा जा रहा है। निजी क्षेत्र भी भारी कमाई कर रहे हैं। जनता के ऊपर बड़े पैमाने पर कर्ज बड़ रहा है। उसकी नियमित जिंदगी बहुत तनावपूर्ण हो गई है। जगह-जगह आत्महत्या, लड़ाई – झगड़े, लूट, चोरी, नशाखोरी इत्यादि की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
अब बिजली पर भी 5% Tax उपकर के रूप में.
इसके बाद भी सरकारों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार अब बिजली के बिलों पर 5 फीसदी का बिजली उपकर लगाने जा रही है ।