दिल्ली की एक महिला को 2 करोड़ रुपये की आय पर टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करने के आरोप में छह महीने जेल की सजा सुनाई गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, आयकर कार्यालय (ITO) की शिकायत के बाद यह फैसला आया, जिसमें दावा किया गया था कि आरोपी को वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान प्राप्त 2 करोड़ रुपये से TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) के रूप में 2 लाख रुपये काटे गए थे। इसके बावजूद आरोपी ने असेसमेंट ईयर 2014-15 के लिए कोई इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मयंक मित्तल की अदालत ने मामले की सबमिशन सुनने और तथ्यों पर विचार करने के बाद महिला सावित्री को सजा सुनाई।
फैसले में जज ने कहा, “दोषी को छह महीने के साधारण कारावास की सजा और 5,000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाता है, जुर्माना अदा ना करने पर एक महीने के साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।” हालांकि, अदालत ने महिला की अर्जी पर विचार करने के बाद आदेश को चुनौती देने के लिए उसे 30 दिन की जमानत दे दी।
सावित्री के वकील ने दलील दी कि वह एक अशिक्षित विधवा है और उसका समर्थन करने वाला कोई नहीं है। इस पर अदालत ने उसे फैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन की जमानत दे दी। मामले में शिकायतकर्ता ने सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया कि आरोपी को आयकर रिटर्न दाखिल करने के अनिवार्य नोटिस भेजे गए थे। अदालत ने माना कि आरोपी इस जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रही है।
इनकम टैक्स रिटर्न किसे भरना है अनिवार्य
सरकार को लोगों की आय के बारे में जानकारी हासिल करने और इस बात की जांच करने के लिए कि अर्जित आय पर टैक्स सही तरीके से चुकाया गया है या नहीं, इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना अनिवार्य है। ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि संबंधित वित्त वर्ष की 31 जुलाई है (जब तक बढ़ाई नहीं जाती)।
कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें व्यक्तिगत करदाताओं के लिए ITR दाखिल करना अनिवार्य है। इनकम टैक्स कानूनों में उन स्थितियों का उल्लेख है, जिनमें ITR अनिवार्य रूप से दाखिल किया जाना चाहिए। अगर किसी करदाता की सकल कुल आय मूल छूट सीमा से अधिक है तो उसके लिए ITR भरना अनिवार्य है।