सऊदी अरब में देशद्रोह और आतंकवाद के आरोपों में 7 साल की कैद के बाद पत्रकार तुर्की अल-जासर (Turki Al-Jasser) को फांसी दे दी गई. शनिवार को अधिकारियों की ओर से इसकी पुष्टि की गई. देश की सर्वोच्च अदालत ने तुर्की अल-जासर के मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा, जिसके बाद उन्हें 14 जून 2025 को फांसी दे दी गई. अल-जासर के खिलाफ आरोप मुख्य रूप से उनकी सोशल मीडिया गतिविधियों से जुड़े थे. उन्होंने ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर सरकार, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखी थी.
सऊदी शाही परिवार के कुछ सदस्यों पर लगाए थे भ्रष्टाचार के आरोप
साल 2018 में अल-जासर को गिरफ्तार किया गया था. सुरक्षा बलों ने उनके घर पर छापा मारा था और डिजिटल डिवाइसेज़ ज़ब्त कर लिए थे. उनकी सुनवाई कब और कहां हुई इसके बारें में कोई जानकारी नहीं है. Committee to Protect Journalists (CPJ) न्यूयॉर्क स्थित एक मीडिया स्वतंत्रता प्रहरी संगठन ने पुष्टि की है कि पत्रकार तुर्की अल-जासर पर X (पूर्व में ट्विटर) पर एक गोपनीय अकाउंट चलाने का आरोप था. इस अकाउट के जरिए पत्रकार ने सऊदी शाही परिवार के कुछ सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. साथ ही सशस्त्र गुटों की भी आलोचना की थी.
गुप्त तरीके से मुकदमा चलाकर दी गई सजा
Committee to Protect Journalists (CPJ) के कार्यक्रम निदेशक कार्लोस मार्टिनेज दे ला सेरना ने कहा कि जमाल खशोग्जी को न्याय न मिलना केवल एक पत्रकार के साथ विश्वासघात नहीं था, बल्कि इसने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को और अधिक बेखौफ बना दिया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता ने प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों को बढ़ावा दिया है. मोहम्मद बिन सलमान अब पहले से ज्यादा आक्रामक तरीके से मीडिया पर कार्रवाई कर रहे हैं. कार्लोस मार्टिनेज ने कहा, अल-जासर को पूरी तरह से गुप्त तरीके से मुकदमा चलाकर सजा दी गई क्या सिर्फ इस वजह से कि उन्होंने पत्रकारिता की थी.
अल-जासर ने क्या लिखा था
2013 से 2015 के बीच अल-जासर एक निजी ब्लॉग भी चलाते थे, जिसमें उन्होंने सत्ता से सवाल पूछने की हिम्मत दिखाई थी. उन्होंने अरब स्प्रिंग, महिला अधिकार और भष्ट्राचार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बेबाक लेख लिखे थे.
सऊदी अरब में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल
सऊदी अरब लंबे समय से अपने सख्त कानूनों और मृत्युदंड के दुरुपयोग को लेकर वैश्विक आलोचना का केंद्र बना हुआ है. मानवाधिकार संगठनों के अनुसार 2024 में कुल 330 मौत की सजाएं दी गईं — जिनमें से कई मामलों में अपराध “राजनीतिक विचार” या “ऑनलाइन गतिविधि” से जुड़े थे. पिछले महीने, Bank of America में काम करने वाले एक ब्रिटिश नागरिक को एक डिलीट किए गए सोशल मीडिया पोस्ट को आधार बनाकर 10 सालों की सजा सुनाई गई. उनके वकील ने बताया कि वह पोस्ट पहले ही डिलीट की जा चुकी थी. साद अलमादी, एक दोहरे अमेरिकी-सऊदी नागरिक को साल 2021 में गिरफ्तार किया गया था. जब वह अमेरिका में रहते हुए ट्विटर पर सरकार की आलोचना कर रहे थे. साल 2023 में उनको रिहा कर दिया गया लेकिन अब भी उनके देश छोड़ने पर प्रतिबंध है.
सऊदी सरकार विरोध को दबाने के लिए
➤ सोशल मीडिया निगरानी,
➤ गुप्त ट्रायल,
➤ और कड़ी सजाएं अपना रही है.




