जब एशिया कप का शेड्यूल पहली बार घोषित किया गया, तो कई लोगों को संदेह था। मैचों के घोषित होने के बावजूद, लोग यह सोच रहे थे कि भारत-पाकिस्तान मैच वास्तव में होगा या नहीं होगा। खासकर पुलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए हालिया आतंकवादी हमले के बाद ये सवाल हर किसी के मन में आ रहा था। जब एशियाई कप के लिए भारतीय टीम की घोषणा हुई, तब भी संदेह बरकरार रहा कुछ लोगों का मानना था कि यह केवल BCCI का निर्णय है और सरकार अनुमति नहीं देगी।
भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर बहस जारी
लेकिन अब स्थिति स्पष्ट हो गई है। जो लोग सोच रहे थे कि भारत-पाकिस्तान मैच को जनता के विरोध के कारण रद्द कर दिया जाएगा, वे गलत साबित हुए। यह बहस सोशल मीडिया, मुख्यधारा की मीडिया और संसद तक पहुंच गई, जहां सवाल उठाए गए। सरकार ने अब आधिकारिक बयान जारी किया है, जो लगभग पक्का करता है कि भारत-पाकिस्तान मैच एशिया कप में होगा। उन्होंने अपने निर्णय का कारण भी बताया, जो कई सवाल खड़े करता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय खेल संबंध नहीं
सरकार के बयान के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय खेल संबंध नहीं हैं, लेकिन भारत अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय टूर्नामेंट्स में पाकिस्तान के साथ हिस्सा लेगा। यह नीति भारत की लंबे समय से अपनाई गई स्थिति के अनुरूप है—2013 के बाद से भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट नहीं खेला है, और यह स्थिति अब भी कायम है।
सरकार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तानी खिलाड़ी और टीमें ऐसे बहुपक्षीय टूर्नामेंट्स में भाग ले सकते हैं, चाहे वे भारत में हों या विदेश में। खेल मंत्रालय ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय आयोजनों के मामले में हम अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों के अभ्यास और अपने खिलाड़ियों के हितों को ध्यान में रखते हैं। यह भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन की विश्वसनीय जगह के रूप में स्थापित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।”
सरकार ने यह भी कहा कि खिलाड़ियों, टीम अधिकारियों, तकनीकी स्टाफ और अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों के अधिकारियों के लिए वीज़ा प्रक्रिया सरल होगी। इसके तहत अधिकारी को बहु-प्रवेश वीज़ा प्राथमिकता के आधार पर दिया जाएगा, जो उनके पदकाल तक मान्य होगा, अधिकतम पांच साल के लिए। यह उपाय अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उनके भारत आने-जाने को सुगम बनाएगा।
हालांकि इस फैसले से कई बड़े सवाल उठते हैं:
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क्या अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स की मेज़बानी राष्ट्रीय हित से ऊपर है? पुलगाम हमले में जान गंवाने वाले नागरिक और सैनिकों की सुरक्षा के बावजूद सरकार ने खेल आयोजन को प्राथमिकता क्यों दी?
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एशिया कप में भाग लेने की जरूरत क्या थी? ICC टूर्नामेंट्स के लिए भारत को अलगाव का डर था, लेकिन एशिया कप में भाग न लेने से अलगाव का खतरा नहीं था। फिर भी सरकार ने भारत को हिस्सा लेने की अनुमति क्यों दी?
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क्या अंतरराष्ट्रीय भागीदारी का डर राष्ट्रीय हित से ऊपर है? ICC या अन्य टूर्नामेंट्स में भाग लेने के डर में क्या भारत ने अपने सुरक्षा और हित को जोखिम में डाला?
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भारत ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में विरोध प्रदर्शन किया है। 1974 में डेविस कप और 1986 में एशिया कप के दौरान भारत ने विरोध स्वरूप भाग नहीं लिया। अब ऐसा क्यों नहीं किया गया?
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दोहरे मानदंड? सामाजिक और व्यापारिक संपर्क पाकिस्तान के साथ खत्म कर दिए गए हैं—सोशल मीडिया, टेलीविजन कंटेंट और व्यापार में प्रतिबंध लगाए गए। फिर खेलों में पाकिस्तान को अनुमति क्यों?
कुल मिलाकर, सरकार का उद्देश्य भारत को अंतरराष्ट्रीय खेलों की विश्वसनीय मेज़बान के रूप में स्थापित करना है। इसके लिए पाकिस्तान के खिलाड़ियों को भारत आने और टूर्नामेंट्स में भाग लेने की अनुमति दी गई। लेकिन इस फैसले ने राष्ट्रीय हित, सुरक्षा और पिछले निर्णयों के साथ सुसंगतता पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।




