जल्द ही शुरू कर देनी चाहिए पैसे की बचत
युवाओं को यह सलाह दी जाती है कि अर्निंग के साथ ही पैसे की बचत शुरू कर देनी चाहिए। लेकिन अपने बचत के शुरुवाती दिनों में मितव्ययी या कंजूस होने में अंतर कर पाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में आपको यह जानना जरूरी है कि मितव्ययी होना अच्छी बात है लेकिन कंजूस होना अच्छी बात नहीं।
बताते चलें कि दोनों के बीच काफी कम फर्क होने के कारण लोगों को कई बार इनमें फर्क करने में परेशानी सामने आती है। कई बार तो लोग मितव्ययी को कंजूसी कह देते हैं।
केवल जरूरी चीजें ही खरीदते हैं
कई बार लोग पैसे बचाने के लिए की जरूरी चीज खरीदने हैं और बहुत सारी चीजों को नजर अंदाज कर देते हैं जो उनके लिए आराम दे या फिर उनकी पसंद का होता है। अगर आप भी पैसे बचाने के चक्कर में ऐसा नहीं करते हैं तो इसकी एक लिमिट जरूर होनी चाहिए ताकि आपके पैसे का आप सही इस्तेमाल कर पाए।
इससे बचने के लिए यह तकनीक अपनाई जाती है कि किसी भी इंसान को एक आराम दे जीवन जीना चाहिए और इसके बाद जो पैसे बचते हैं उसे सेविंग समझना चाहिए।
भ्रामक होते हैं प्रचार
वही पैसे बचाने वाले होर्डिंग जिसमें 50 से 90 फ़ीसदी तक के छूट दी जाती है वह भ्रामक होते हैं और लोगों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर डालते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई बार जरूर या पसंद ना होने पर भी 50 से 90 फ़ीसदी तक की छूट वाले प्रोडक्ट्स बड़े डिस्काउंट के नाम पर लोग घर ले जाते हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद वो एक कोने में पड़ा मिलता है।
ऐसा कई बार होता है कि लोग अपने आप को कंजूस कर देते हैं लेकिन वह बेस्ट डील या डिस्काउंट ऑफर के नाम पर कई अनावश्यक चीजों से अपना घर भर लेते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें यह चीज कम दाम पर मिली है और उन्होंने बहुत सारे पैसे बचा लिए हैं। लेकिन उन्हें यह समझने में देर लगती है कि उन्होंने वह सारी चीजों में पैसे को बर्बाद कर दिया है जिसकी उन्हें कोई जरूरत नहीं थी।
समय से ज्यादा कीमती कुछ नहीं
कई बार लोग पैसे बचाने के चक्कर में समय को बर्बाद करते नजर आते हैं जापानी बात को समझना चाहिए कि समय से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं है। पैसे कभी बिना सोचे समझे खर्च हो जाएं लेकिन समय कभी बिना सोचे समझे खर्च न करें।