आधे क़ीमत रेंज दोगुना तकनीक आया मार्केट में
आइआइटी, पटना ने इलेक्ट्रिक वाहन बाजार को रफ्तार देने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर कंट्रोलर बनाया है। यह स्वदेशी कंट्रोलर वाहन में पावर लास कम करता है और उसको लंबी दूरी की यात्रा क्षमता प्रदान करता है। यह चीन से आयात होने वाले कंट्रोलर की तुलना में लगभग आधी कीमत में उपलब्ध होगा। इसमें इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी आरएसबी ग्लोबल ने दिलचस्पी दिखाई है।
कैसे बढ़ेगा गाड़ी का माईलेज.
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रो. रंजन कुमार बेहरा के निर्देशन में इसे तैयार किया गया है। प्रो. बेहरा बताते हैं कि वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों में जो कंट्रोलर लगे हैं, उनसे अधिक पावर लास होता है। उपयोगिता भी 70 प्रतिशत तक होती है, जबकि आइआइटी में बने मोटर कंट्रोलर की उपयोगिता 90 प्रतिशत तक है। यह वाहन की बाड़ी में कंपन को भी कम करता है। इससे ज्यादा दूरी तय की जा सकती है।
नहीं लगेगा फिर कभी आग
इस कंट्रोलर में विज्ञानियों ने सुरक्षा फीचर भी दिया है, जिससे अचानक लोड बढ़ने पर मोटर बंद हो जाती है। इससे आग लगने की आशंका नहीं रहती। प्रो. बेहरा के अनुसार, उनकी टीम ने लंबे समय तक चलने वाले कंट्रोलर को बनाया है। वर्तमान में पांच एचपी व 50 एचपी क्षमता के कंट्रोलर बनाए गए हैं।
मिला 50 लाख रुपये
इसके लिए आइटी मंत्रालय के सी-डैक तिरुअनंतपुरम की ओर से 50 लाख रुपये दिए गए थे। यह राशि पांच एचपी वाहन के प्रोटोटाइप तथा 50 एचपी की डिजाइन बनाने के लिए दी गई थी। इसका प्रदर्शन आइटी मंत्रालय की ओर से दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर तक आयोजित प्रदर्शनी में भी किया गया।
मात्र 45 हज़ार में किट तैयार
पांच एचपी में 45 हजार तक खर्च इस मोटर कंट्रोलर को विशेष रूप से बनाया गया है, जिससे कम ऊर्जा उपयोग में बेहतर बैकअप देता है। इसकी जांच शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के साथ हाईवे पर भी की गई है। प्रो. बेहरा के अनुसार, एक इलेक्ट्रिक वाहन में पांच एचपी का मोटर व कंट्रोलर लगाने में 45 से 50 हजार रुपये का खर्च आएगा।
अभी एक लाख से ज़्यादा होता हैं खर्च
अभी उपलब्ध मोटर कंट्रोलर लगाने में एक लाख रुपये से अधिक का खर्च आता है। इसके लिए वाहन निर्माता कंपनियां चीन व दूसरे देशों पर आश्रित हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में चार पहिया वाहन में 10 से 20 एचपी तक का मोटर कंट्रोलर लगा होता है। इसमें लगभग छह लाख रुपये खर्च होते हैं, जबकि आइआइटी की विशेष तकनीक वाले कंट्रोलर में लगभग तीन लाख रुपये का खर्च आएगा।
मिला पेटेंट
आइआइटी पटना के निदेशक प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि इस कंट्रोलर का पेटेंट मिल चुका है। अब इसके उपयोग के लिए कई कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। प्रोटोटाइप को एक कंपनी ने 17 लाख रुपये में खरीदा है।