आटा चावल के दाम हो या फिर मामला प्याज से लेकर टमाटर तक बिगड़ रहा हो. देश में किसी भी प्रकार से अगर महंगाई बढ़ती है तो इसका सीधा असर देश के इकोनामी पर भी पड़ता है. बढ़ते हुए महंगाई दर को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर ने अब सीधा इशारा कर दिया है कि आने वाले समय में ब्याज दरों में अभी गिरावट नहीं देखने को मिलेगी.
लोगों को Fixed Deposit पर जहां एक ओर बढ़िया ब्याज दर मिलता रहेगा तो वहीं दूसरी ओर लोगों के लोन के ब्याज दर कम नहीं होंगे. आरबीआई गवर्नर ने अपने नए दिशा निर्देशों में यह साफ कर दिया है कि जब तक महंगाई दर 4% के आसपास नहीं पहुंच जाती रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अब ढिलाई नहीं करेगा.
होम-कार लोन समेत अन्य लोनों की ईएमआई में घटाव की उम्मीदों को धकेल दिया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई के बढ़ते दर को चिंता का कारण बताया।
महंगाई का झटका: जुलाई में खुदरा महंगाई दर 7.44% पर पहुंच गई, जो 15 महीने का उच्चतम स्तर है। त्योहारी सीजन के आगमन से इसमें और वृद्धि हो सकती है।
आरबीआई की रणनीति: गवर्नर दास ने सूचित किया कि मौद्रिक नीति में बदलाव की जरूरत हो सकती है ताकि महंगाई के प्रभाव को कम किया जा सके। उन्होंने आपूर्ति पक्ष में सुधार की बात की।
आरबीआई का लक्ष्य: आरबीआई का लक्ष्य महंगाई को 4% पर रखना है। उच्च ब्याज दरें लंबे समय तक बनी रह सकती हैं।
महीना | खुदरा महंगाई दर |
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जुलाई | 7.44% |
आरबीआई के गवर्नर के इस बयान से स्पष्ट होता है कि लोन की ईएमआई में घटाव की उम्मीदों को अभी तालना होगी। आरबीआई अब भी महंगाई पर काबू पाने के लिए विचार कर रहा है।