भारतीय रुपया शुक्रवार को रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया क्योंकि निवेशक अमेरिका की ओर से भारत पर लगाई जा रही टैरिफ़ (शुल्क) से जुड़ी खबरों को लेकर सतर्क दिखे। हालांकि, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के संभावित दखल से बड़ी गिरावट पर कुछ हद तक रोक लगी।
रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.36 तक गिरा, जो इससे पहले 1 सितंबर को दर्ज 88.33 के रिकॉर्ड स्तर से भी नीचे है। बाद में रुपया 88.27 पर कारोबार कर रहा था, जो दिन में 0.1% की गिरावट है। ट्रेडर्स का कहना है कि विदेशी बैंकों की डॉलर की मज़बूत खरीद और अमेरिका से जुड़ी टैरिफ़ की अटकलें गिरावट का कारण बनीं। उन्होंने बताया कि जब रुपया 88.30 के ऊपर गया तो सरकारी बैंकों संभवतः RBI की ओर से हस्तक्षेप किया।
इस बीच बाज़ार में सामान्य कारोबार शांत है और मांग ज़्यादातर डॉलर की तरफ झुकी हुई है। MUFG ने अनुमान लगाया है कि अगर अमेरिकी टैरिफ़ फिलहाल ऊंचे बने रहते हैं और अगले साल घटाकर 25% किए जाते हैं, तो 2026 की पहली तिमाही तक रुपया 89 तक कमजोर हो सकता है। इस बीच विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाज़ार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं—सितंबर में अब तक 1.4 अरब डॉलर की निकासी हो चुकी है और साल भर में कुल निकासी 16 अरब डॉलर से ज़्यादा हो गई है।



