उपभोक्ता के खाते में अगर सेंध लगती है तो इसके लिए बैंक ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। बिना पासवर्ड बताए अगर साइबर फ्राड हो रहा है और खाता साफ किया जा रहा है तो इसका मतलब है कि बैंक का सुरक्षा सिस्टम पूरी तरह से फेल है और उपभोक्ता का इसमें कोई दोष नहीं है।

4 लाख 12 हज़ार 655 रुपये निकले थे खाते से
साइबर ठगों द्वारा एक सेवानिवृत्त शिक्षक के खाते से चार लाख 12 हजार 655 रुपये निकालने के मामले में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अहम निर्णय दिया है। आयोग के इस निर्णय से ठगी का शिकार हुए उन तमाम लोगों को न्याय की रोशनी मिली है जो बैंकों के कमजोर सिक्योरिटी सिस्टम के कारण रोजाना धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं।

SBI Customer Care को किया था फ़ोन:
बालियर खुर्द गांव के रहने वाले सुरेंद्र सिंह यादव सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। उनका एसबीआइ बैंक में खाता है। पांच जनवरी 2022 को उन्होंने इंटरनेट पर एसबीआई बैंक के कस्टमर केयर का नंबर देखकर काल किया तथा उनसे जानना चाहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए फिक्स डिपोजिट पर कितना ब्याज है। सुरेंद्र सिंह को यह कतई जानकारी नहीं थी कि एसबीआइ कस्टमर केयर समझकर वह जिन नंबरों पर बात कर रहे हैं वह साइबर ठगों के नंबर है।

कथित कस्टमर केयर पर बात कर रही युवती ने उनको कहा कि वह लिंक भेज रहे हैं जिसपर क्लिक कर एनी डेस्क एप को डाउनलोड कर लें जिससे उनका खाता अपडेट हो जाएगा और सभी जानकारी उनको मिल जाएगी। सुरेंद्र सिंह ने जैसे ही भेजे गए लिंक पर क्लिक किया उनके मोबाइल पर पैसे कटने के मैसेज आने लगे ।

एक के बाद एक 14 ट्रांजेक्शन उनके खाते से हुई और चार लाख 12 हजार 655 रुपये निकल गए। बिना कोई देरी किए सुरेंद्र सिंह सीधे एसबीआइ बैंक की मुख्य ब्रांच में पहुंचे और वहां प्रबंधक को अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी दी। उन्होंने उसी दिन साइबर थाना पुलिस को शिकायत देकर भी एफआइआर दर्ज करा दी थी।

  • बैंक ने शिकायत मिलने के बाद एक लाख 35 हजार 813 रुपये रिकवर करा दिए।
  • बाकी बचे दो लाख 76 हजार 851 रुपये में से एक लाख 38 हजार 426 रुपये यानी पचास प्रतिशत राशि बैंक ने खुद की तरफ से उपभोक्ता को दे दी और
  • कहा कि बाकी की पचास प्रतिशत राशि उनको खुद वहन करनी होगी।

उपभोक्ता आयोग का खटखटाया दरवाजा
जब बैंक ने शेष 1 लाख 38 हजार 426 रुपये की राशि नहीं दी तो सुरेंद्र सिंह यादव ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग के चेयरमैन एसके खंडूजा ने पूरे मामले को ध्यान से सुना तथा टिप्पणी की है कि उपभोक्ता ने अपना पासवर्ड नहीं बताया उसके बावजूद भी खाते से लाखों रुपये निकले हैं तो यह संबंधित बैंक के सिक्योरिटी सिस्टम की कमी है।

आयोग ने इसमें अहम निर्णय देते हुए एसबीआई बैंक को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता की शेष राशि एक लाख 38 हजार 426 रुपये उसे पांच जनवरी 2022 से लेकर आजतक के नौ प्रतिशत ब्याज सहित लौटाई जाए। 50 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि व वाद खर्च भी दिया जाए।

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