हाल ही में कतर ने एक शानदार अंदाज़ में 2036 ओलंपिक खेलों की मेज़बानी की दावेदारी पेश की। उन्होंने कई वीडियो बनाए जिनमें मशहूर खिलाड़ी जैसे रोजर फेडरर और डेविड बेकहम दोहा की तारीफ़ करते दिखे। क़तर का ओलंपिक में दिलचस्पी होना पहले से चर्चा में था, लेकिन अब उन्होंने इसे आधिकारिक रूप से घोषित कर दिया है। भारत भी दो साल से अपनी तैयारी में लगा हुआ है। इसके अलावा तुर्की, इंडोनेशिया, हंगरी और जर्मनी जैसे देश भी इस दौड़ में शामिल हैं।
फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने मेज़बान चुनने की प्रक्रिया रोक रखी है और नियमों की दोबारा जांच कर रही है।
किस देश को फायदा मिलेगा, कहना मुश्किल है
ओलंपिक की मेज़बानी पाना कभी आसान नहीं होता। किस देश को चुना जाएगा, यह सिर्फ़ उसके वादों पर नहीं बल्कि कई अंदरूनी बातों पर भी निर्भर करता है। क़तर 2022 फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी पहले ही जीत चुका है, जो काफी विवादों में थी लेकिन सफल रही।
भारत और क़तर के वादों में फर्क बस शब्दों का
क़तर ने कहा कि वह खेलों को दुनिया को जोड़ने और शांति फैलाने का ज़रिया मानता है। भारत ने अपने पत्र में लिखा कि वह सभी देशों के बीच दोस्ती और तरक्की चाहता है। समावेश यानी सबको साथ लेने की बात दोनों ने की। क़तर ने कहा कि वह हर संस्कृति और समुदाय के लोगों का स्वागत करेगा। भारत ने कहा कि उसका देश कई धर्मों का घर है जैसे हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन।क़तर का यह सपना है “राष्ट्रीय विज़न 2030” का हिस्सा है, वहीं भारत इसे अपने “विकसित भारत 2047” के सपने से जोड़ रहा है।
क़तर पूरी तरह तैयार, भारत अभी बना रहा है
क़तर ने दावा किया है कि उसके पास पहले से ही 95% स्टेडियम और ज़रूरी जगहें मौजूद हैं, जो बड़े-बड़े टूर्नामेंट्स के लिए इस्तेमाल हो चुकी हैं। उन्होंने 2006 में एशियन गेम्स कराए थे और 2030 में दोबारा कराने वाले हैं। भारत की तरफ़ से अहमदाबाद को ओलंपिक शहर के तौर पर पेश किया गया है। यहां अभी ज़मीन पर काम शुरू हुआ है, और “सरदार वल्लभभाई पटेल एन्क्लेव” नाम से एक बड़ा स्पोर्ट्स हब बन रहा है।
भारत आने वाले कुछ सालों में कई अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं कराएगा जैसे 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स, 2027 महिला वॉलीबॉल वर्ल्ड कप, और 2028 U20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप ताकि उसे बड़ा आयोजन करने का अनुभव मिल सके।
दूसरे देशों में असर डालने की कोशिश
क़तर का कहना है कि अगर उसे ओलंपिक मिलेगा, तो यह पहली बार होगा कि ओलंपिक मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका के किसी देश में होगा। इससे अरब दुनिया की संस्कृति और युवाओं को दुनिया के सामने लाने का मौका मिलेगा।
भारत ने कहा कि अगर उसे मेज़बानी मिलेगी, तो इससे दक्षिण एशिया के बाकी देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका में भी बदलाव आएगा और लोगों को फायदा होगा।
अर्थव्यवस्था और राजनीति की बात
क़तर ने कहा है कि वह एक “शांति और बातचीत का केंद्र” बन चुका है, और यह ओलंपिक उसी का अगला कदम होगा। भारत ने यह बताया कि वह दुनिया की एक बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने अब तक ओलंपिक नहीं कराया है। उसने IOC से कहा कि यह सिर्फ़ खेलों की बात नहीं, बल्कि समाज और लोगों के विकास की बात है।




