भारत के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी भारत की सबसे बड़ी निजी पोर्ट कंपनी Adani Ports and SEZ (APSEZ) के चेयरमैन थे, उन्होंने 5 अगस्त 2025 को अपनी बड़ी जिम्मेदारी छोड़ दी है। अब वे सिर्फ नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन होंगे और कंपनी के रोज़मर्रा के फैसलों में शामिल नहीं रहेंगे।
इस फैसले ने लोगों को चौंका दिया है, क्योंकि यह ऐसे समय पर हुआ है जब अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप और जांच चल रही हैं। जैसे:
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अमेरिका की सरकार जांच कर रही है कि क्या अडानी की कंपनियों ने ईरान से अवैध गैस आयात की।
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$250 मिलियन की रिश्वत और धोखाधड़ी का केस चल रहा है।
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आरोप है कि अडानी ग्रुप ने अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया और भारत में सरकारी सौदे पाने के लिए रिश्वत दी।
इन सब कारणों से, निवेशकों को चिंता हो रही है। कंपनी के शेयरों में 2% की गिरावट आई है और बाजार में हलचल मच गई है। हालांकि कंपनी का कारोबार अभी भी अच्छा चल रहा है। इस तिमाही में कमाई में 21% और माल ढुलाई में 11% की बढ़ोतरी हुई है।
अडानी ग्रुप का कहना है कि यह बदलाव सिर्फ नियमों का पालन करने के लिए किया गया है, लेकिन लोग मानते हैं कि यह कानूनी संकट से दूरी बनाने और छवि सुधारने की कोशिश हो सकती है। इस घटना का असर भारत की कारोबारी दुनिया, निवेशकों के भरोसे और अडानी समूह के भविष्य पर पड़ सकता है।




