यूएई ने वीज़ा नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे वहां रहने वाली महिलाओं के अधिकार और मजबूत हुए हैं। अब तलाकशुदा और विधवा महिलायें बिना किसी स्पॉन्सर के देश में रह सकती हैं और काम जारी रख सकती हैं।
नए नियमों के अनुसार, अगर किसी महिला का वीज़ा उसके पति के नाम पर है और पति की मौत हो जाती है या तलाक हो जाता है, तो वह छह महीने के भीतर अपना रेज़िडेंसी वीज़ा अपने नाम से करा सकती है। सबसे बड़ी राहत यह है कि अब उन्हें नया वीज़ा लेने के लिए किसी स्पॉन्सर की ज़रूरत नहीं होगी। कानूनी विशेषज्ञों ने इसे महिलाओं के लिए बड़ी सुरक्षा बताया है। पहले कई बार पति विवाद के दौरान पत्नी का वीज़ा रद्द कर देते थे, जिससे महिलाएँ असुरक्षित महसूस करती थीं। अब वे निश्चिंत होकर बच्चों की पढ़ाई पूरी करवा सकती हैं, नौकरी ढूंढ सकती हैं या खुद का बिज़नेस शुरू कर सकती हैं।
वकील बिंदु चेट्टुर ने कहा, “यह बदलाव तलाकशुदा और विधवा महिलाओं के लिए एक मील का पत्थर है। अब महिलाओं को यह डर नहीं रहेगा कि उन्हें तुरंत देश छोड़ना पड़ेगा या वे सड़क पर आ जाएँगी। यह उन्हें अपने जीवन को नए सिरे से बनाने का मौका देता है।” इसी तरह, वकील राका रॉय का कहना है कि यह बदलाव न केवल मानवीय स्तर पर मदद करता है बल्कि व्यावसायिक स्तर पर भी उपयोगी है। महिलाएँ अब अपने पति का बिज़नेस संभाल सकती हैं या नया काम शुरू कर सकती हैं।
इसके साथ ही, यूएई ने नई वीज़ा कैटेगरी भी शुरू की है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) विशेषज्ञों, एंटरटेनमेंट, इवेंट्स, क्रूज़ शिप और लीज़र बोट सेक्टर के पेशेवरों के लिए वीज़ा शामिल है। AI विशेषज्ञों को सिंगल और मल्टीपल एंट्री वीज़ा दिए जाएंगे, जिससे वे प्रोजेक्ट्स या सेमिनारों के लिए आ सकें।
इन नियमों का उद्देश्य जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करना, टेक्नोलॉजी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को बढ़ावा देना और वैश्विक प्रतिभा को यूएई की ओर आकर्षित करना है।




