हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए 75% आरक्षण का कानून, जो राज्य के निवासियों के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरा था, हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है।
हाई कोर्ट का निर्णय 🏛️
जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निजी रोजगार पर इस तरह का कानून बनाना राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इस कानून के तहत, 30,000 रुपये से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति में राज्य के मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जानी थी।
कानून का उद्देश्य और चुनौतियां 🎯
हरियाणा स्टेट एंप्लायमेंट आफ लोकल कैंडिडेट एक्ट-2020 का मुख्य उद्देश्य राज्य के निवासियों को निजी क्षेत्र में अधिक अवसर प्रदान करना था। इस कानून के तहत, नए और पुराने उद्योगों में 75% नौकरियां स्थानीय निवासियों को दी जानी थीं। लेकिन, इस कानून को विभिन्न औद्योगिक संगठनों ने चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख 🏛️⚖️
हरियाणा सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया है। इस कानून को 2 मार्च 2021 को विधानसभा द्वारा पारित किया गया था और 15 जनवरी 2022 को यह लागू हुआ था।
महत्वपूर्ण जानकारी का सारांश 📄
विवरण | जानकारी |
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कानून का नाम | हरियाणा स्टेट एंप्लायमेंट आफ लोकल कैंडिडेट एक्ट-2020 |
उद्देश्य | हरियाणा के मूल निवासियों को निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण |
वेतन सीमा | 30,000 रुपये प्रति माह से कम |
हाई कोर्ट का फैसला | कानून रद्द |
सुप्रीम कोर्ट में अपील | हरियाणा सरकार द्वारा अपील की जाएगी |
इस फैसले के साथ, हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षण का मुद्दा एक नया मोड़ ले चुका है।