भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों में एक सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को आश्वासन दिया कि चीन आवश्यक आपूर्ति फिर से शुरू करेगा। इसमें उर्वरक (यूरिया, NPK और DAP), दुर्लभ पृथ्वी खनिज और टनल बोरिंग मशीनें (TBM) शामिल हैं। यह कदम दोनों देशों के बीच संबंधों के सामान्यीकरण की दिशा में लिया गया है।
ताइवान पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने पिछले महीने चीन की यात्रा के दौरान वांग यी से इन आपूर्तियों का मुद्दा उठाया था। सीमा वार्ता और बॉर्डर मुद्दों पर चर्चा इस बैठक में नहीं हुई; इसे आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल द्वारा विशेष प्रतिनिधि वार्ता में उठाया जाएगा। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत की ताइवान पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और भारत आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के लिए कूटनीतिक उपस्थिति बनाए रखता है।
अमेरिका की नीतियां भारत और चीन को प्रभावित करेंगी
बैठक में अमेरिका के रुख को भी ध्यान में रखा गया। दोनों पक्षों ने मान लिया कि अमेरिका की नीतियां भारत और चीन दोनों को प्रभावित करेंगी। इसलिए दोनों देशों के बीच संवाद आवश्यक है ताकि अनिश्चितता को कम किया जा सके।
आपूर्ति में चीन की वापसी
चीन की ओर से उर्वरक, TBM और दुर्लभ पृथ्वी खनिज की आपूर्ति फिर से शुरू करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीजिंग ने लगभग एक साल तक भारतीय आयात पर रोक लगा रखी थी। चीन भारत के कृषि क्षेत्र के लिए लगभग 30% उर्वरक, ऑटो पार्ट्स के लिए दुर्लभ पृथ्वी और रोड एवं शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए TBM की आपूर्ति करता है।
सीमा वार्ता और शांति
जयशंकर-वांग बैठक में सीमा मुद्दों पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल इन मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में बातचीत करेंगे। मुख्य फोकस LAC (3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर बलों की कमी और सैनिकों को बारक्स में वापस भेजना है। लद्दाख में सीमाई तनाव और पेट्रोलिंग के मुद्दे सुलझा लिए गए हैं, लेकिन दोनों देशों की सेनाएं अभी भी सीमा पर तैनात हैं।
यह बातचीत भारत और चीन के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में संतुलन और सामान्यीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।




