अमेरिका द्वारा भारतीय रत्न और आभूषण पर आयात शुल्क दोगुना कर 50% करने के फैसले ने देश के इस उद्योग को बड़े झटके में डाल दिया है। यह कदम न केवल अरबों डॉलर के निर्यात को खतरे में डाल रहा है, बल्कि सूरत, पुणे और कोलकाता जैसे कारीगर केंद्रों में हजारों नौकरियों पर भी संकट खड़ा कर सकता है।
2024 में अमेरिका ने भारत से 11.58 अरब डॉलर मूल्य के आभूषण आयात किए थे, जो उसके कुल आयात का लगभग 13% था। विशेषज्ञों का अनुमान है कि नए टैरिफ से भारत के करीब 30% आभूषण निर्यात ठप हो सकते हैं, जिसमें सिर्फ मुंबई के SEEPZ हब को 7–8 अरब डॉलर के ऑर्डर का नुकसान हो सकता है।
सबसे अधिक असर कट और पॉलिश किए गए हीरे (45.09% निर्यात), सोने के आभूषण (24.61%) और वर्क्ड लैब-ग्रोउन स्टोन्स (92.17%) पर पड़ेगा। पहले 5.5%–7% शुल्क वाले सोने और हीरे जड़े आभूषणों पर अब 50% से अधिक शुल्क लगने से अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा लगभग खत्म हो जाएगी।
यूएई की संभावना
यूएई, जहां अमेरिकी आयात शुल्क केवल 10% है, भारतीय निर्यातकों के लिए संभावित बैकडोर मार्केट के रूप में उभर रहा है। दुबई के मजबूत गोल्ड ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर और री-एक्सपोर्ट हब के कारण वहां से अमेरिकी बाजार को आपूर्ति करना एक रणनीति हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि उत्पादन इकाइयों को यूएई स्थानांतरित करने में उच्च सेटअप लागत, कड़े अनुपालन नियम और कुशल श्रमिकों की कमी जैसी चुनौतियां आएंगी।
मेक्सिको (25% शुल्क) भी एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन बड़े वॉल्यूम वाले निर्यातकों के लिए ही लाभकारी हो सकता है।
नीतिगत सुझाव
- ड्यूटी ड्रॉबैक स्कीम
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कर्ज पर ब्याज स्थगन
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अमेरिका के साथ शुल्क घटाने या व्यापार समझौते के लिए त्वरित वार्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो यह वैश्विक आभूषण सप्लाई चेन का ढांचा बदल सकता है, अमेरिका में भारत की पकड़ कमजोर कर सकता है और हजारों कारीगरों को बेरोजगारी की कगार पर ला सकता है।




